Tuesday 3 December 2019

गोदान -प्रेमचंद

भाग 1



होरीराम ने दोनों बैलों को सानी-पानी दे कर अपनी स्त्री धनिया से कहा - गोबर को ऊख गोड़ने भेज देना। मैं न जाने कब लौटूँ। जरा मेरी लाठी दे दे। धनिया के दोनों हाथ गोबर से भरे थे। उपले पाथ कर आई थी। बोली - अरे, कुछ रस-पानी तो कर लो। ऐसी जल्दी क्या है? होरी ने अपने झुर्रियों से भरे हुए माथे को सिकोड़ कर कहा - तुझे रस-पानी की पड़ी है, मुझे यह चिंता है कि अबेर हो गई तो मालिक से भेंट न होगी। असनान-पूजा करने लगेंगे, तो घंटों बैठे बीत जायगा। 'इसी से तो कहती हूँ, कुछ जलपान कर लो और आज न जाओगे तो कौन हरज होगा! अभी तो परसों गए थे।'


'तू जो बात नहीं समझती, उसमें टाँग क्यों अड़ाती है भाई! मेरी लाठी दे दे और अपना काम देख। यह इसी मिलते-जुलते रहने का परसाद है कि अब तक जान बची हुई है, नहीं कहीं पता न लगता कि किधर गए। गाँव में इतने आदमी तो हैं, किस पर बेदखली नहीं आई, किस पर कुड़की नहीं आई। जब दूसरे के पाँवों-तले अपनी गर्दन दबी हुई है, तो उन पाँवों को सहलाने में ही कुसल है।'


धनिया इतनी व्यवहार-कुशल न थी। उसका विचार था कि हमने जमींदार के खेत जोते हैं, तो वह अपना लगान ही तो लेगा। उसकी खुशामद क्यों करें, उसके तलवे क्यों सहलाएँ। यद्यपि अपने विवाहित जीवन के इन बीस बरसों में उसे अच्छी तरह अनुभव हो गया था कि चाहे कितनी ही कतर-ब्योंत करो, कितना ही पेट-तन काटो, चाहे एक-एक कौड़ी को दाँत से पकड़ो; मगर लगान का बेबाक होना मुश्किल है। फिर भी वह हार न मानती थी, और इस विषय पर स्त्री-पुरुष में आए दिन संग्राम छिड़ा रहता था। उसकी छ: संतानों में अब केवल तीन जिंदा हैं, एक लड़का गोबर कोई सोलह साल का, और दो लड़कियाँ सोना और रूपा, बारह और आठ साल की। तीन लड़के बचपन ही में मर गए। उसका मन आज भी कहता था, अगर उनकी दवा-दवाई होती तो वे बच जाते; पर वह एक धेले की दवा भी न मँगवा सकी थी। उसकी ही उम्र अभी क्या थी। छत्तीसवाँ ही साल तो था; पर सारे बाल पक गए थे, चेहरे पर झुर्रियाँ पड़ गई थीं। सारी देह ढल गई थी, वह सुंदर गेहुँआँ रंग सँवला गया था, और आँखों से भी कम सूझने लगा था। पेट की चिंता ही के कारण तो। कभी तो जीवन का सुख न मिला। इस चिरस्थायी जीर्णावस्था ने उसके आत्मसम्मान को उदासीनता का रूप दे दिया था। जिस गृहस्थी में पेट की रोटियाँ भी न मिलें, उसके लिए इतनी खुशामद क्यों? इस परिस्थिति से उसका मन बराबर विद्रोह किया करता था, और दो-चार घुड़कियाँ खा लेने पर ही उसे यथार्थ का ज्ञान होता था।

उसने परास्त हो कर होरी की लाठी, मिरजई, जूते, पगड़ी और तमाखू का बटुआ ला कर सामने पटक दिए।
होरी ने उसकी ओर आँखें तरेर कर कहा - क्या ससुराल जाना है, जो पाँचों पोसाक लाई है? ससुराल में भी तो कोई जवान साली-सलहज नहीं बैठी है, जिसे जा कर दिखाऊँ।
होरी के गहरे साँवले, पिचके हुए चेहरे पर मुस्कराहट की मृदुता झलक पड़ी। धनिया ने लजाते हुए कहा - ऐसे ही बड़े सजीले जवान हो कि साली-सलहजें तुम्हें देख कर रीझ जाएँगी।
होरी ने फटी हुई मिरजई को बड़ी सावधानी से तह करके खाट पर रखते हुए कहा - तो क्या तू समझती है, मैं बूढ़ा हो गया? अभी तो चालीस भी नहीं हुए। मर्द साठे पर पाठे होते हैं।

'जा कर सीसे में मुँह देखो। तुम-जैसे मर्द साठे पर पाठे नहीं होते। दूध-घी अंजन लगाने तक को तो मिलता नहीं, पाठे होंगे। तुम्हारी दसा देख-देख कर तो मैं और भी सूखी जाती हूँ कि भगवान यह बुढ़ापा कैसे कटेगा? किसके द्वार पर भीख माँगेंगे?'
होरी की वह क्षणिक मृदुता यथार्थ की इस आँच में झुलस गई। लकड़ी सँभलता हुआ बोला - साठे तक पहुँचने की नौबत न आने पाएगी धनिया, इसके पहले ही चल देंगे।

धनिया ने तिरस्कार किया - अच्छा रहने दो, मत असुभ मुँह से निकालो। तुमसे कोई अच्छी बात भी कहे, तो लगते हो कोसने।
होरी कंधों पर लाठी रख कर घर से निकला, तो धनिया द्वार पर खड़ी उसे देर तक देखती रही। उसके इन निराशा-भरे शब्दों ने धनिया के चोट खाए हुए हृदय में आतंकमय कंपन-सा डाल दिया था। वह जैसे अपने नारीत्व के संपूर्ण तप और व्रत से अपने पति को अभय-दान दे रही थी। उसके अंत:करण से जैसे आशीर्वादों का व्यूह-सा निकल कर होरी को अपने अंदर छिपाए लेता था। विपन्नता के इस अथाह सागर में सोहाग ही वह तृण था, जिसे पकड़े हुए वह सागर को पार कर रही थी। इन असंगत शब्दों ने यथार्थ के निकट होने पर भी, मानो झटका दे कर उसके हाथ से वह तिनके का सहारा छीन लेना चाहा। बल्कि यथार्थ के निकट होने के कारण ही उनमें इतनी वेदना-शक्ति आ गई थी। काना कहने से काने को जो दु:ख होता है, वह क्या दो आँखों वाले आदमी को हो सकता है?


होरी कदम बढ़ाए चला जाता था। पगडंडी के दोनों ओर ऊख के पौधों की लहराती हुई हरियाली देख कर उसने मन में कहा - भगवान कहीं गौं से बरखा कर दे और डाँड़ी भी सुभीते से रहे, तो एक गाय जरूर लेगा। देसी गाएँ तो न दूध दें, न उनके बछवे ही किसी काम के हों। बहुत हुआ तो तेली के कोल्हू में चले। नहीं, वह पछाईं गाय लेगा। उसकी खूब सेवा करेगा। कुछ नहीं तो चार-पाँच सेर दूध होगा? गोबर दूध के लिए तरस-तरस रह जाता है। इस उमिर में न खाया-पिया, तो फिर कब खाएगा? साल-भर भी दूध पी ले, तो देखने लायक हो जाए। बछवे भी अच्छे बैल निकलेंगे। दो सौ से कम की गोंई न होगी। फिर गऊ से ही तो द्वार की सोभा है। सबेरे-सबेरे गऊ के दर्सन हो जायँ तो क्या कहना! न जाने कब यह साध पूरी होगी, कब वह सुभ दिन आएगा!


हर एक गृहस्थ की भाँति होरी के मन में भी गऊ की लालसा चिरकाल से संचित चली आती थी। यही उसके जीवन का सबसे बड़ा स्वप्न, सबसे बड़ी साध थी। बैंक के सूद से चैन करने या जमीन खरीदने या महल बनवाने की विशाल आकांक्षाएँ उसके नन्हें-से हृदय में कैसे समातीं !


जेठ का सूर्य आमों के झुरमुट से निकल कर आकाश पर छाई हुई लालिमा को अपने रजत-प्रताप से तेज प्रदान करता हुआ ऊपर चढ़ रहा था और हवा में गरमी आने लगी थी। दोनों ओर खेतों में काम करने वाले किसान उसे देख कर राम-राम करते और सम्मान-भाव से चिलम पीने का निमंत्रण देते थे; पर होरी को इतना अवकाश कहाँ था? उसके अंदर बैठी हुई सम्मान-लालसा ऐसा आदर पा कर उसके सूखे मुख पर गर्व की झलक पैदा कर रही थी। मालिकों से मिलते-जुलते रहने ही का तो यह प्रसाद है कि सब उसका आदर करते हैं, नहीं उसे कौन पूछता- पाँच बीघे के किसान की बिसात ही क्या? यह कम आदर नहीं है कि तीन-तीन, चार-चार हल वाले महतो भी उसके सामने सिर झुकाते हैं।


अब वह खेतों के बीच की पगडंडी छोड़ कर एक खलेटी में आ गया था, जहाँ बरसात में पानी भर जाने के कारण तरी रहती थी और जेठ में कुछ हरियाली नजर आती थी। आस-पास के गाँवों की गउएँ यहाँ चरने आया करती थीं। उस उमस में भी यहाँ की हवा में कुछ ताजगी और ठंडक थी। होरी ने दो-तीन साँसें जोर से लीं। उसके जी में आया, कुछ देर यहीं बैठ जाए। दिन-भर तो लू-लपट में मरना है ही। कई किसान इस गड्ढे का पट्टा लिखाने को तैयार थे। अच्छी रकम देते थे; पर ईश्वर भला करे रायसाहब का कि उन्होंने साफ कह दिया, यह जमीन जानवरों की चराई के लिए छोड़ दी गई है और किसी दाम पर भी न उठाई जायगी। कोई स्वार्थी जमींदार होता, तो कहता गाएँ जायँ भाड़ में, हमें रुपए मिलते हैं, क्यों छोड़ें; पर रायसाहब अभी तक पुरानी मर्यादा निभाते आते हैं। जो मालिक प्रजा को न पाले, वह भी कोई आदमी है?


सहसा उसने देखा, भोला अपनी गाय लिए इसी तरफ चला आ रहा है। भोला इसी गाँव से मिले हुए पुरवे का ग्वाला था और दूध-मक्खन का व्यवसाय करता था। अच्छा दाम मिल जाने पर कभी-कभी किसानों के हाथ गाएँ बेच भी देता था। होरी का मन उन गायों को देख कर ललचा गया। अगर भोला वह आगे वाली गाय उसे दे तो क्या कहना! रुपए आगे-पीछे देता रहेगा। वह जानता था, घर में रुपए नहीं हैं। अभी तक लगान नहीं चुकाया जा सका; बिसेसर साह का देना भी बाकी है, जिस पर आने रुपए का सूद चढ़ रहा है, लेकिन दरिद्रता में जो एक प्रकार की अदूरदर्शिता होती है, वह निर्लज्जता जो तकाजे, गाली और मार से भी भयभीत नहीं होती, उसने उसे प्रोत्साहित किया। बरसों से जो साध मन को आंदोलित कर रही थी, उसने उसे विचलित कर दिया। भोला के समीप जा कर बोला - राम-राम भोला भाई, कहो क्या रंग-ढंग हैं? सुना अबकी मेले से नई गाएँ लाए हो?


भोला ने रूखाई से जवाब दिया। होरी के मन की बात उसने ताड़ ली थी - हाँ, दो बछिएँ और दो गाएँ लाया। पहलेवाली गाएँ सब सूख गई थी। बँधी पर दूध न पहुँचे तो गुजर कैसे हो?


होरी ने आगे वाली गाय के पुट्टे पर हाथ रख कर कहा - दुधार तो मालूम होती है। कितने में ली?


भोला ने शान जमाई - अबकी बाजार तेज रहा महतो, इसके अस्सी रुपए देने पड़े। आँखें निकल गईं। तीस-तीस रुपए तो दोनों कलोरों के दिए। तिस पर गाहक रुपए का आठ सेर दूध माँगता है।


'बड़ा भारी कलेजा है तुम लोगों का भाई, लेकिन फिर लाए भी तो वह माल कि यहाँ दस-पाँच गाँवों में तो किसी के पास निकलेगी नहीं।'


भोला पर नशा चढ़ने लगा। बोला - रायसाहब इसके सौ रुपए देते थे। दोनों कलोरों के पचास-पचास रुपए, लेकिन हमने न दिए। भगवान ने चाहा तो सौ रुपए इसी ब्यान में पीट लूँगा।


'इसमें क्या संदेह है भाई। मालिक क्या खा के लेंगे? नजराने में मिल जाय, तो भले ले लें। यह तुम्हीं लोगों का गुर्दा है कि अंजुली-भर रुपए तकदीर के भरोसे गिन देते हो। यही जी चाहता है कि इसके दरसन करता रहूँ। धन्य है तुम्हारा जीवन कि गऊओं की इतनी सेवा करते हो! हमें तो गाय का गोबर भी मयस्सर नहीं। गिरस्त के घर में एक गाय भी न हो, तो कितनी लज्जा की बात है। साल-के-साल बीत जाते हैं, गोरस के दरसन नहीं होते। घरवाली बार-बार कहती है, भोला भैया से क्यों नहीं कहते? मैं कह देता हूँ, कभी मिलेंगे तो कहूँगा। तुम्हारे सुभाव से बड़ी परसन रहती है। कहती है, ऐसा मर्द ही नहीं देखा कि जब बातें करेंगे, नीची आँखें करके कभी सिर नहीं उठाते।'


भोला पर जो नशा चढ़ रहा था, उसे इस भरपूर प्याले ने और गहरा कर दिया। बोला - आदमी वही है, जो दूसरों की बहू-बेटी को अपनी बहू-बेटी समझे। जो दुष्ट किसी मेहरिया की ओर ताके, उसे गोली मार देना चाहिए।


'यह तुमने लाख रुपए की बात कह दी भाई! बस सज्जन वही, जो दूसरों की आबरू समझे।'


'जिस तरह मर्द के मर जाने से औरत अनाथ हो जाती है, उसी तरह औरत के मर जाने से मर्द के हाथ-पाँव टूट जाते हैं। मेरा तो घर उजड़ गया महतो, कोई एक लोटा पानी देने वाला भी नहीं।'


गत वर्ष भोला की स्त्री लू लग जाने से मर गई थी। यह होरी जानता था, लेकिन पचास बरस का खंखड़ भोला भीतर से इतना स्निग्ध है, वह न जानता था। स्त्री की लालसा उसकी आँखों में सजल हो गई थी। होरी को आसन मिल गया। उसकी व्यावहारिक कृषक-बुद्धि सजग हो गई।


'पुरानी मसल झूठी थोड़े है - बिन घरनी घर भूत का डेरा। कहीं सगाई क्यों नहीं ठीक कर लेते?'


'ताक में हूँ महतो, पर कोई जल्दी फँसता नहीं। सौ-पचास खरच करने को भी तैयार हूँ। जैसी भगवान की इच्छा।'


'अब मैं भी फिराक में रहूँगा। भगवान चाहेंगे, तो जल्दी घर बस जायगा।'


'बस, यही समझ लो कि उबर जाऊँगा भैया! घर में खाने को भगवान का दिया बहुत है। चार पसेरी रोज दूध हो जाता है, लेकिन किस काम का?'


'मेरे ससुराल में एक मेहरिया है। तीन-चार साल हुए, उसका आदमी उसे छोड़ कर कलकत्ते चला गया। बेचारी पिसाई करके गुजारा कर रही है। बाल-बच्चा भी कोई नहीं। देखने-सुनने में अच्छी है। बस, लच्छमी समझ लो।'


भोला का सिकुड़ा हुआ चेहरा जैसे चिकना गया। आशा में कितनी सुधा है! बोला - अब तो तुम्हारा ही आसरा है महतो! छुट्टी हो, तो चलो एक दिन देख आएँ।


'मैं ठीक-ठाक करके तब तुमसे कहूँगा। बहुत उतावली करने से भी काम बिगड़ जाता है।'


'जब तुम्हारी इच्छा हो तब चलो। उतावली काहे की - इस कबरी पर मन ललचाया हो, तो ले लो।'


'यह गाय मेरे मान की नहीं है दादा। मैं तुम्हें नुकसान नहीं पहुँचाना चाहता। अपना धरम यह नहीं है कि मित्रों का गला दबाएँ। जैसे इतने दिन बीते हैं, वैसे और भी बीत जाएँगे।'


'तुम तो ऐसी बातें करते हो होरी, जैसे हम-तुम दो हैं। तुम गाय ले जाओ, दाम जो चाहे देना। जैसे मेरे घर रही, वैसे तुम्हारे घर रही। अस्सी रुपए में ली थी, तुम अस्सी रुपए ही देना देना। जाओ।'


'लेकिन मेरे पास नगद नहीं है दादा, समझ लो।'


'तो तुमसे नगद माँगता कौन है भाई?'


होरी की छाती गज-भर की हो गई। अस्सी रुपए में गाय महँगी न थी। ऐसा अच्छा डील-डौल, दोनों जून में छ:-सात सेर दूध, सीधी ऐसी कि बच्चा भी दुह ले। इसका तो एक-एक बाछा सौ-सौ का होगा। द्वार पर बँधेगी तो द्वार की सोभा बढ़ जायगी। उसे अभी कोई चार सौ रुपए देने थे; लेकिन उधार को वह एक तरह से मुफ्त समझता था। कहीं भोला की सगाई ठीक हो गई, तो साल-दो साल तो वह बोलेगा भी नहीं। सगाई न भी हुई, तो होरी का क्या बिगड़ता है! यही तो होगा, भोला बार-बार तगादा करने आएगा, बिगड़ेगा, गालियाँ देगा; लेकिन होरी को इसकी ज्यादा शर्म न थी। इस व्यवहार का वह आदी था। कृषक के जीवन का तो यह प्रसाद है। भोला के साथ वह छल कर रहा था और यह व्यापार उसकी मर्यादा के अनुकूल न था। अब भी लेन-देन में उसके लिए लिखा-पढ़ी होने और न होने में कोई अंतर न था। सूखे-बूड़े की विपदाएँ उसके मन को भीरु बनाए रहती थीं। ईश्वर का रुद्र रूप सदैव उसके सामने रहता था; पर यह छल उसकी नीति में छल न था। यह केवल स्वार्थ-सिद्धि थी और यह कोई बुरी बात न थी। इस तरह का छल तो वह दिन-रात करता रहता था। घर में दो-चार रुपए पड़े रहने पर भी महाजन के सामने कसमें खा जाता था कि एक पाई भी नहीं है। सन को कुछ गीला कर देना और रूई में कुछ बिनौले भर देना उसकी नीति में जायज था और यहाँ तो केवल स्वार्थ न था, थोड़ा-सा मनोरंजन भी था। बुड्ढों का बुढ़भस हास्यास्पद वस्तु है और ऐसे बुड्ढों से अगर कुछ ऐंठ भी लिया जाय, तो कोई दोष-पाप नहीं।


भोला ने गाय की पगहिया होरी के हाथ में देते हुए कहा - ले जाओ महतो, तुम भी क्या याद करोगे। ब्याते ही छ: सेर दूध लेना। चलो, मैं तुम्हारे घर तक पहुँचा दूँ। साइत तुम्हें अनजान समझ कर रास्ते में कुछ दिक करे। अब तुमसे सच कहता हूँ, मालिक नब्बे रुपए देते थे, पर उनके यहाँ गऊओें की क्या कदर। मुझसे ले कर किसी हाकिम-हुक्काम को दे देते। हाकिमों को गऊ की सेवा से मतलब? वह तो खून चूसना-भर जानते हैं। जब तक दूध देती, रखते, फिर किसी के हाथ बेच देते। किसके पल्ले पड़ती, कौन जाने। रूपया ही सब कुछ नहीं है भैया, कुछ अपना धरम भी तो है। तुम्हारे घर आराम से रहेगी तो। यह न होगा कि तुम आप खा कर सो रहो और गऊ भूखी खड़ी रहे। उसकी सेवा करोगे, प्यार करोगे, चुमकारोगे। गऊ हमें आसिरवाद देगी। तुमसे क्या कहूँ भैया, घर में चंगुल-भर भी भूसा नहीं रहा। रुपए सब बाजार में निकल गए। सोचा था, महाजन से कुछ ले कर भूसा ले लेंगे; लेकिन महाजन का पहला ही नहीं चुका। उसने इनकार कर दिया। इतने जानवरों को क्या खिलाएँ, यही चिंता मारे डालती है। चुटकी-चुटकी भर खिलाऊँ, तो मन-भर रोज का खरच है। भगवान ही पार लगाएँ तो लगे।


होरी ने सहानुभूति के स्वर में कहा - तुमने हमसे पहले क्यों नहीं कहा - हमने एक गाड़ी भूसा बेच दिया।


भोला ने माथा ठोक कर कहा - इसीलिए नहीं कहा - भैया कि सबसे अपना दु:ख क्यों रोऊँ; बाँटता कोई नहीं, हँसते सब हैं। जो गाएँ सूख गई हैं, उनका गम नहीं, पत्ती-सत्ती खिला कर जिला लूँगा; लेकिन अब यह तो रातिब बिना नहीं रह सकती। हो सके, तो दस-बीस रुपए भूसे के लिए दे दो।


किसान पक्का स्वार्थी होता है, इसमें संदेह नहीं। उसकी गाँठ से रिश्वत के पैसे बड़ी मुश्किल से निकलते हैं, भाव-ताव में भी वह चौकस होता है, ब्याज की एक-एक पाई छुड़ाने के लिए वह महाजन की घंटों चिरौरी करता है, जब तक पक्का विश्वास न हो जाय, वह किसी के फुसलाने में नहीं आता, लेकिन उसका संपूर्ण जीवन प्रकृति से स्थायी सहयोग है।‌ वृक्षों में फल लगते हैं, उन्हें जनता खाती है, खेती में अनाज होता है, वह संसार के काम आता है; गाय के थन में दूध होता है, वह खुद पीने नहीं जाती, दूसरे ही पीते हैं, मेघों से वर्षा होती है, उससे पृथ्वी तृप्त होती है। ऐसी संगति में कुत्सित स्वार्थ के लिए कहाँ स्थान? होरी किसान था और किसी के जलते हुए घर में हाथ सेंकना उसने सीखा ही न था।


भोला की संकट-कथा सुनते ही उसकी मनोवृत्ति बदल गई। पगहिया को भोला के हाथ में लौटाता हुआ बोला - रुपए तो दादा मेरे पास नहीं हैं। हाँ, थोड़ा-सा भूसा बचा है, वह तुम्हें दूँगा। चल कर उठवा लो। भूसे के लिए तुम गाय बेचोगे, और मैं लूँगा! मेरे हाथ न कट जाएँगे?


भोला ने आर्द्र कंठ से कहा - तुम्हारे बैल भूखों न मरेंगे। तुम्हारे पास भी ऐसा कौन-सा बहुत-सा भूसा रखा है।


'नहीं दादा, अबकी भूसा अच्छा हो गया था।'


'मैंने तुमसे नाहक भूसे की चर्चा की।'


'तुम न कहते और पीछे से मुझे मालूम होता, तो मुझे बड़ा रंज होता कि तुमने मुझे इतना गैर समझ लिया। अवसर पड़ने पर भाई की मदद भाई न करे, तो काम कैसे चले!'


'मुदा यह गाय तो लेते जाओ।'


'अभी नहीं दादा, फिर ले लूँगा।'


'तो भूसे के दाम दूध में कटवा लेना।'


होरी ने दु:खित स्वर में कहा - दाम-कौड़ी की इसमें कौन बात है दादा, मैं एक-दो जून तुम्हारे घर खा लूँ तो तुम मुझसे दाम माँगोगे?


'लेकिन तुम्हारे बैल भूखों मरेंगे कि नही?


'भगवान कोई-न-कोई सबील निकालेंगे ही। आसाढ़ सिर पर है। कड़वी बो लूँगा।'


'मगर यह गाय तुम्हारी हो गई। जिस दिन इच्छा हो, आ कर ले जाना।'


'किसी भाई का लिलाम पर चढ़ा हुआ बैल लेने में जो पाप है, वह इस समय तुम्हारी गाय लेने में है।'


होरी में बाल की खाल निकालने की शक्ति होती, तो वह खुशी से गाय ले कर घर की राह लेता। भोला जब नकद रुपए नहीं माँगता, तो स्पष्ट था कि वह भूसे के लिए गाय नहीं बेच रहा है, बल्कि इसका कुछ और आशय है; लेकिन जैसे पत्तों के खड़कने पर घोड़ा अकारण ही ठिठक जाता है और मारने पर भी आगे कदम नहीं उठाता, वही दशा होरी की थी। संकट की चीज लेना पाप है, यह बात जन्म-जन्मांतरों से उसकी आत्मा का अंश बन गई थी।


भोला ने गदगद कंठ से कहा - तो किसी को भेज दूँ भूसे के लिए?


होरी ने जवाब दिया - अभी मैं रायसाहब की ड्योढ़ी पर जा रहा हूँ। वहाँ से घड़ी-भर में लौटूँगा, तभी किसी को भेजना।


भोला की आँखों में आँसू भर आए। बोला - तुमने आज मुझे उबार लिया होरी भाई! मुझे अब मालूम हुआ कि मैं संसार में अकेला नहीं हूँ। मेरा भी कोई हितू है। एक क्षण के बाद उसने फिर कहा - उस बात को भूल न जाना।


होरी आगे बढ़ा, तो उसका चित्त प्रसन्न था। मन में एक विचित्र स्फूर्ति हो रही थी। क्या हुआ, दस-पाँच मन भूसा चला जायगा, बेचारे को संकट में पड़ कर अपनी गाय तो न बेचनी पड़ेगी। जब मेरे पास चारा हो जायगा तब गाय खोल लाऊँगा। भगवान करें, मुझे कोई मेहरिया मिल जाए। फिर तो कोई बात ही नहीं।


उसने पीछे फिर कर देखा। कबरी गाय पूँछ से मक्खियाँ उड़ाती, सिर हिलाती, मस्तानी, मंद-गति से झूमती चली जाती थी, जैसे बांदियों के बीच में कोई रानी हो। कैसा शुभ होगा वह दिन, जब यह कामधेनु उसके द्वार पर बँधेगी!


तैयारी / फिल्म 'लाल सिंह चड्‌ढा' के लिए आमिर खान सीख रहे हैं खुद से पगड़ी कैसे बांधी जाती है..

आमिर खान के बारे में यह प्रसिद्ध है कि वे रोल के लिए पूरी तैयारी खुद ही करते हैं। यही बात उनकी अगली फिल्म 'लाल सिंह चड्‌ढा' पर भी लागू हो रही है। फॉरैस्ट गम्प की हिन्दी रीमेक में अपने सरदार वाले रोल के लिए आमिर खुद ही पगड़ी बांधना सीख रहे हैं। 



एंटरटेनमेंट वेबसाइट कोईमोई की खबर के अनुसार लाल सिंह चड्‌ढा की कहानी को अतुल कुलकर्णी ने लिखा है। जबकि अद्वैत चंदन फिल्म को डायरेक्ट कर रहे हैं। फिल्म में आमिर खान के साथ करीना कपूर भी नजर आएंगी। इसकी शूटिंग चंडीगढ़ में चल रही है। लाल सिंह चड्‌ढा अगले साल क्रिसमस वीक पर रिलीज होगी। 

विजय भी होंगे आमिर के साथ'लाल सिंह चड्‌ढा' में साउथ के स्टार विजय सेतुपति की एंट्री भी हुई है। विजय ने कहा - वह तमिल-तेलुगु के अलावा दूसरी इंडस्ट्री की फिल्मों में काम करने से डरते हैं। विजय का कहना है भाषा कोई बड़ी बाधा नहीं है वह सीखी जा सकती है लेकिन उस क्षेत्र की संस्कृति को समझना ज्यादा महत्वपूर्ण है। क्योंकि सिर्फ कल्चर के जरिए ही हम दर्शकों से जुड़ सकते हैं। विजय के अलावा फिल्म में 'थ्री इडियट्स' में करीना-आमिर के साथ नजर आईं मोना सिंह भी होंगी। 


बात ओरिजनल फिल्म कीफॉरेस्ट गंप 1994 में रिलीज हुई थी और अब फिल्म के एक्टर टॉम हैंक्स 63 साल के हो चुके हैं। फिल्म ने ऑस्कर के एक दर्जन नॉमिनेशन पाए थे और छह ऑस्कर अवॉर्ड्स जीते थे। टॉम हैंक्स को इसके लिए लगातार दूसरा बेस्ट एक्टर का ऑस्कर अवॉर्ड मिला था। फिल्म लेखक विन्सटन ग्रूम के 1986 में आए नॉवेल पर बेस्ड थी।



शीतसत्र  / नान घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और रमन सिंह में तीखी नोक-झोंक

सरकार पर गलत जानकारी देने का आरोप




रायपुर. छत्तीसगढ़ विधानसभा में चल रहे शीतसत्र के छठवें और अंतिम दिन नान घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह में तीखी नोक-झोंक हुई। पूर्व सीएम ने नान घोटाले में पीआईएल लगाने वाले वकीलों की जानकारी मांगी और सरकार पर सदन में गलत जानकारी देने का आरोप लगाया। इस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि पिछली सरकार को 15 साल का हिसाब देना चाहिए। घोटाले की जांच रोकने के लिए कोर्ट जाते हैं। इसके बाद दोनों ओर से बहस तेज हो गई। 


रमन बोले- हरीश साल्वे, रविंद्र श्रीवास्तव कभी हाईकोर्ट नहीं अाए, सीएम ने कहा- पिछली सरकार में कितने आए सबका हिसाब मेरे पास



  • दरअसल, विधानसभा में सोमवार का दिन काफी हंगामेदार रहा। सदन में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने नान घोटाले में पीआईएल लगाने वाले वकीलों की जानकारी मांगी। साथ ही उन्होंने निजी वकीलों पर शासन की ओर से किए गए खर्चों और उन्हें शासकीय विमान उपलब्ध कराने की भी जानकारी मांगी। इस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बताया कि अधिवक्ता दयन कृष्णन को था 81 लाख रुपए का भुगतान किया गया। इसके साथ ही वकील हरीश साल्वे और रविंद्र श्रीवास्तव की सेवाएं ली गईं। 


     सीएम मैडम, सीएम सर कौन हैं... आज तक जवाब नहीं आया



  • इस पर पूर्व सीएम ने कहा कि हरीश साल्वे कभी बिलासपुर हाईकोर्ट आए ही नहीं। रविंद्र श्रीवास्तव भी कभी नहीं पहुंचे। उन्होंने सरकार पर विधानसभा में गलत जानकारी देने का आरोप लगाया। इस पर दोनों ओर से बहस शुरू हो गई। सीएम बघेल ने रमन सिंह पर तंज कसते हुए कहा कि सीएम मैडम, सीएम सर कौन है, लोग जानना चाहते हैं। उसका जवाब तो आज तक नहीं आया। कहा कि रमन सिंह की सरकार में भी बाहर के वकील को बुलाया गया था। किसे कब और कितना भुगतान किया गया सबका हिसाब मेरे पास है। 


 



  • मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि पूर्व सरकार को अपने 15 सालों के खर्च का हिसाब देना चाहिए। उन्होंने कहा कि नान घोटाले की जांच रोकने नेता प्रतिपक्ष पीआईएल लगाते हैं। मुख्यमंत्री बघेल की इस टिप्पणी पर सदन में एक बार फिर जोरदार नोंकझोंक हुई। पक्ष-विपक्ष के सदस्य खड़े होकर नारेबाजी करने लगे। वहीं विधायक मोहन मरकाम ने पूछा नान घोटाले में कौन-कौन लोग शामिल हैं और उनपर कार्रवाई होगी क्या। जवाब में सीएम बघेल ने कहा कि कार्रवाई के लिए ही तो एसआईटी का गठन किया गया है। 


शराबबंदी को लेकर विपक्ष का हंगामा, 10 विधायक निलंबित



  • विधानसभा में शराबबंदी को लेकर मामला उठाया गया। विपक्ष स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा को लेकर अड़ा हुआ था। शराबबंदी को लेकर विधायक अजय चंद्राकर, धर्मजीत सिंह और डॉ. रमन सिंह ने मामला उठाया। इसके बाद सदन में नारेबाजी शुरू हो गई और विधायक आसंदी तक आ गए। इस पर भाजपा, बसपा और छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के 10 विधायक स्वत: ही निलंबित हो गए। हालांकि बाद में उनका निलंबन समाप्त कर दिया गया। 



प्रज्ञा ठाकुर को जिंदा जलाने की धमकी देने वाले कांग्रेस विधायक ने लिखा पत्र

विधायक ने कहा- आप मालेगांव से मशहूर



भोपालभाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर और ब्वायरा से कांग्रेस विधायक बीच चली आ रही जुबानी जंग खत्म नहीं हो रही। प्रज्ञा ठाकुर को जिंदा जला देने की धमकी देने वाले विधायक  गोर्वधन दांगी ने अब प्रज्ञा को तीन पेज का पत्र लिख गांधी विचारधार अपनाने की सलाह दी है। विधायक ने कहा है कि अगर आप ऐसा करती हैं तो आपकी मनोवृत्ति सुधरेगी और हम आपका स्वागत करेंगे।


दांगी ने लिखा- एक बार नहीं कई बार आपने गोडसे को देशभक्त कहा



  • दांगी ने पत्र में प्रज्ञा ठाकुर को लिखा- "आपने एक बार नहीं कई बार गोडसे को देशभक्त कहा। इसमें आपकी गलती नहीं। आप मालेगांव ब्लास्ट मामले से मशहूर हैं। सांप्रदायिकता आपके जेहन में है।" 

  • "इसलिए हिंसा का प्रतिरूप नाथूराम गोडसे रह-रह कर आपकी जुबान पर आता है। यह कहावत वैसे ही नहीं बनी कि 'मुंह में राम बगल में छुरी' आपके दिल और दिमाग में गांधी है या नहीं पर आपका गोडसे चिंतन जरूर आपके मुंह से बार-बार बाहर आ जाता है।" 

  • "आप गोडसे छोड़ गांधी की विचारधारा स्वीकार करना चाहती हैं, तो मेरे जिले में राजगढ़ के मेरे शहर ब्यावरा आइए। हम शहरवासी गांधी जी का भजन ईश्वर अल्लाह, तेरे नाम, सबको सनमति दे भगवान गाकर आपका स्वागत करेंगे। फिर आप और हम मिलकर भजन गाएंगे।"


प्रज्ञा ठाकुर ने कहा था- 4 बजे आ रही हूं ब्वावरा


संसद में नाथूराम गोडसे के समर्थन में बयान देने पर प्रज्ञा ठाकुर का ब्यावरा में गुरुवार को कांग्रेस नेताओं ने पुतला दहन किया था। इस दौरान दांगी ने कहा था कि अगर प्रज्ञा यहां आईं तो उन्हें जिंदा जला देंगे। इसके बाद प्रज्ञा ठाकुर ने ट्वीट कर पलटवार किया था। उन्होंने कहा था कि वे 8 दिसंबर की शाम 4 बजे ब्यावरा आ रही हैं, जला दीजिएगा। प्रज्ञा ने ट्वीट में कांग्रेस की संस्कृति और 1984 के सिख नरसंहार का भी जिक्र किया था। हालांकि दांगी ने शुक्रवार को बयान पर खेद व्यक्त करते हुए माफी मांग ली थी।


सीबीएसई 10वीं-12वीं की परीक्षा के तरीके में बदलाव करेगा

रटने की जगह चिंतन और तर्क को बढ़ावा मिलेगा



नई दिल्ली. केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) 10वीं और 12वीं की परीक्षा के तरीके में बदलाव करेगा। मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि बोर्ड यह कदम रटने की परंपरा को खत्म करने और छात्रों में सोच और तर्क क्षमता को बढ़ाने के लिए यह कदम उठाएगा। यह बदलाव 10वीं और 12वीं की 2020 में होने वाली परीक्षा के दौरान किए जाएंगे।


निशंक ने लोकसभा में सांसद केशारी देवी और चिराग पासवान के सवालों के जवाब में सीबीएसई बोर्ड के बदलाव के बारे में जानकारी दी। देशभर में सीबीएसई के कक्षा 10वीं और 12वीं के छात्रों की कुल संख्या करीब 32 लाख है।


बिना प्रायोगिक परीक्षा वाले विषयों का आंतरिक मूल्यांकन होगा



निशंक ने बताया- प्रश्नों की संख्या घटाने, ऑब्जेक्टिव प्रश्नों की संख्या बढ़ाने, आंतरिक विकल्प के साथ-साथ हर विषय के आंतरिक मूल्यांकन जैसे बदलावों पर बोर्ड जोर देगा। सभी सवालों के 33% हिस्से में छात्रों को आंतरिक विकल्प दिया जाएगा। एक नंबर वाले ऑब्जेक्टिव प्रश्नों की संख्या प्रश्न पत्र में 25% रहेगी। हर विषय के आंतरिक मूल्यांकन के अंक 20% रहेंगे। यह वो विषय होंगे, जिनमें प्रायोगिक परीक्षा नहीं होती।



शाहरुख खान कॉमिक एक्शन थ्रिलर फिल्म की अगले साल शुरू करेंगे शूटिंग?


शाहरुख खान आखिरी बार फिल्म 'जीरो' में नजर आए थे। शाहरुख जल्द ही अपने नए प्रोजेक्ट की शूटिंग शुरू करने वाले हैं।


 







बॉलीवुड के सुपरस्टार शाहरुख खान आखिरी बार फिल्म जीरो में नजर आए थे। जीरो में शाहरुख खान के साथ अनुष्का शर्मा और कटरीना कैफ अहम भूमिका निभाती नजर आईं थी। जीरो के बाद शाहरुख ने कोई भी फिल्म साइन नहीं की है। अपने 54वें जन्मदिन पर शाहरुख खाने ने अनाउंसमेंट की थी कि वह कुछ स्क्रिप्ट पढ़ रहे हैं और जल्द ही अपने नए प्रोजेक्ट के बारे में बताएंगे। अब रिपोर्ट के मुताबिक शाहरुख कॉमिक एक्शन थ्रिलर फिल्म में नजर आने वाले हैं।


मुंबई मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक शाहरुख खान बिग बजट कॉमिक एक्शन थ्रिलर फिल्म में नजर आने वाले हैं। इस फिल्म को राज निदिमोरु और कृष्ण डीके डायरेक्ट करेंगे। रिपोर्ट के मुताबिक फिल्म की शूटिंग अगले साल शुरू होगी। 


 


रिपोर्ट के मुताबिक फिल्म को शाहरुख खान प्रोड्यूस कर रहे हैं। फिल्म की शूटिंग इंडिया और विदेश में होगी। एक्शन सीक्वेंस के लिए इंटरनेशनल क्रू को बुलाया जाएगा जो फिल्म में एक्शन डिजाइन करेंगे। फिलहाल राज और डीके स्क्रिप्ट को खत्म करके लोकेशन फाइनल करेंगे।


फिल्म का टाइटल अभी तक डिसाइड नहीं हुआ है। यह फिल्म 2021 में रिलीज होगी।





ऋतिक रोशन ने दिखाया अपना 'दिल', फैन बोले - बहुत बड़ा है भाई...मिले 10 लाख ये ज्यादा Hearts


Hrithik Roshan के दिल की इस तस्वीर को देख फैन्स ने कई कमेंट्स किए. किसी ने लिखा 'बहुत बड़ा है भाई' तो किसी ने कमेंट किया 'हेल्दी हार्ट'. इतना ही नहीं सबसे ज्यादा कमेंट्स में फैन्स ने भी हार्ट इमोजी ही दि







बॉलीवुड एक्टर ऋतिक रोशन (Hrithik Roshan) ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर एक दिल की तस्वीर शेयर की, जिसे उन्होंने अपने हार्ट की तस्वीर बताई. पोस्ट में उन्होंने लिखा 'ये है मेरे दिल की तस्वीर'. इस तस्वीर को अभी तक 10 लाख से ज्यादा लाइक्स मिल चुके हैं. आप भी देखिए बॉलीवुड एक्टर ऋतिक रोशन के दिल की तस्वीर.


ऋतिक रोशन ने अपने दिn की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा ''मेरे दिल का शेप- वास्तव में! हम सब कितने कमजोर हैं. काश, हमें हर समय दूसरों से प्यार पाने की कोशिश में आधे से ज्यादा जिंदगी को अनजाने में खर्च करने की ज़रूरत नहीं होती. इतनी आसानी से हम ये भूल जाते हैं कि हम सब एक जैसे हैं. मेड ऑफ लव.''



ऋतिक रोशन के दिल की इस तस्वीर को देख फैन्स ने कई कमेंट्स किए. किसी ने लिखा 'बहुत बड़ा है भाई' तो किसी ने कमेंट किया 'हेल्दी हार्ट'. इतना ही नहीं सबसे ज्यादा कमेंट्स में फैन्स ने भी हार्ट इमोजी ही दिया.
 






लेकिन हेल्दी हार्ट के लिए आप क्या टिप्स कर सकते हैं फॉलो, जानिए यहां...


1. स्‍मोकिंग ना करें.
2. रोज़ाना एक्सरसाइज़ करें.
3. नमक की  मात्रा सीमित करें.
4. डार्क चॉकलेट का सेवन करें.
5. ओवरइटिंग से बचें.
6. ब्रेकफास्ट जरूर करें.
7. हर दिन एक फल जरूर खाएं.
8. लो फैट प्रोटीन खाएं जैसे अंडे, सोयाबीन, सैलमॉन मछली, लो फैट मिल्क.
9. छोटे कौर में खाना खाएं और आराम से खाएं.
10. स्ट्रेस ना लें और पूरी नींद लें.


 





हैदराबाद रेप केस: आरोपी चेन्ना की मां की बात सुनकर राहत भी मिलती है, डर भी लगता है







सफेद शर्ट में शिवा, पीली टी-शर्ट में आरिफ, नीली शर्ट में नवीन और नारंगी शर्ट में चेन्ना, जिन्होंने डॉक्टर का

गैंगरेप किया और उन्हें जलाकर मार दिया.



 


हैदराबाद में 28 नवंबर को एक लड़की की हत्या हुई. पुलिस को शक है कि हत्या से पहले उसके साथ रेप हुआ था.


27 नवंबर की रात करीब 9 बजकर 22 मिनट पर लड़की ने अपनी छोटी बहन को फोन किया था. उन्होंने बताया कि स्कूटी का टायर पंक्चर हो गया है. दो अजनबियों ने उसे मदद भी ऑफर की थी. लेकिन टायर रिपेयर नहीं हो सका. डॉक्टर ने बहन को बताया था कि वो एक ऐसी जगह पर है, जहां कई सारे ट्रक ड्राइवर्स हैं और वो डरी हुईं हैं. उनकी बहन ने उससे कहा कि वो तुरंत ही पास के टोल प्लाजा पर पहुंच जाए, वहां वो सुरक्षित रहेंगी. इसके बाद उसकी बात किसी से नहीं हुई. 28 नवंबर की सुबह उसकी जली हुई लाश मिली.


बीते दिन से चल रही इस खबर में कुछ डिटेल्स सामने आए हैं.


घटना से पहले आरोपी को पुलिस ने पकड़ा था 


घटना के 48 घंटे पहले 25 नवंबर को ट्रैफिक पुलिस ने मुख्य आरोपी को पकड़ा था. जब पुलिस ने ट्रक सीज़ करने की कोशिश की, तो आरोपी आरिफ ने अपना दिमाग लगाते हुए ट्रक का सेल्फ स्टार्ट केबल निकाल दिया. इससे ट्रक स्टार्ट नहीं हुआ. और जब पुलिस ट्रक को छोड़कर आगे बढ़ी, तो आरिफ ट्रक लेकर वहां से भाग गया. आरिफ के साथ पुलिस ने जोल्लू नवीन, चेन्नकेशवुलु उर्फ चेन्ना और जोल्लू शिवा को गिरफ्तार किया था.


24 नवंबर को आरिफ और जोल्लू शिवा, जो ट्रक सफाई का काम करता था, दोनों ट्रक में ईंट भरकर हैदराबाद में डिलीवरी करने के लिए निकले थे. इसके बाद आरिफ ने अपने दूसरे साथी नवीन और चेन्ना को फोन किया. उन्हें तेलंगाना के गुडीगंडला गांव में मिलने बुलाया. क्योंकि वो लोग वहां से स्टील का कुछ सामान अवैध तरीके से हैदराबाद ले जाने वाले थे. दोनों साथी बताई गई जगह पर पहुंचे. इसके बाद स्टील लोड किया गया. और फिर चेन्ना अपने घर चला गया. और बाकी के तीन साथी हैदराबाद चले गए.


रीजनल ट्रांस्पोर्ट अथॉरिटी और विजिलेंस एंड एनफोर्स्मेंट डिपार्टमेंट की टीम ने चेकिंग के दौरान इनका ट्रक महबूबनगर (तेलंगाना का शहर) के पास रोका. टाइम्स ऑफ इंडिया ने जब मोटर व्हीकल्स इंस्पेक्टर चिरंजीवी से बातचीत की, तो उन्होंने बताया-


25 नवंबर को सुबह 4 बजे की बात है. ट्रक ड्राइवर के पास लाइसेंस नहीं था. फिर टीम ने ट्रक जब्त करने का फैसला किया. पर आरिफ ने चालाकी की. और सेल्फ स्टार्ट केबल निकाल दिया, जिससे ट्रक स्टार्ट न हो. इसके बाद हम अपना काम करने के लिए दूसरी लोकेशन पर चले गए. जब हम लौटे तो आरोपी ट्रक के साथ फरार हो चुका था.


रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपी महबूबनगर से पास के ही एक पेट्रोल पंप गए. वहां ट्रक पार्क किया. फिर चेन्ना को घर से बुलाया गया. वो बाइक से वहां आया और फिर उसने ट्रक चलाना शुरू किया. और वहीं नवीन ने उसकी बाइक ले ली. सभी रैकाल टोल प्लाजा के पास पहुंचे, जहां उन्होंने अवैध तरीके से चार हजार रुपये में स्टील का सामान बेच दिया.


गैंगरेप के पहले खूब शराब पी रखी थी


पुलिस के मुताबिक, चारों आरोपी 26 नवंबर की रात 9 बजे शमशाबाद पहुंचे. वहां सड़क के किनारे ट्रक खड़ा किया और उसी के अंदर सो गए. फिर 27 नवंबर को सुबह 9 बजे पुलिस आई और सड़क से ट्रक हटाने के लिए कहा. उन चारों ने ट्रक टोंडपल्ली ORR टोल प्लाजा के पास ले जाकर खड़ा कर दिया. वहां उन्होंने शराब पी. इसी दौरान उन्होंने देखा कि एक लड़की है, जो अपनी स्कूटी ट्रक के पास खड़ी कर रही है. इसके बाद उन चारों ने उसे टारगेट करने का प्लान बनाया. रिमांड रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपियों ने डॉक्टर का यौन शोषण किया. इस दौरान डॉक्टर बिल्कुल भी अपने होश में नहीं थीं. जब होश में आई, तो आरिफ ने उसे मार दिया.


रेप के बाद हत्या की और बॉडी फेंक दी


हत्या के बाद आरोपियों ने पीड़िता की बॉडी को एक चादर में लपेटा.  फिर उसे चट्टान पल्ली के आशियाना होटल के पास फेंक दिया. इसके बाद उन्होंने लाश को आग लगाई और फिर विक्टिम के दोनों सिम कार्ड तोड़कर नष्ट कर दिए. वो सभी आरोपी वहां से चले गए. इसके बाद विक्टिम की स्कूटी कोठूर (तेलंगाना का गांव) में छोड़ दी. और ट्रक को 28 नवंबर की सुबह आरामगढ़ पहुंचा दिया. फिर आरिफ ने बाकी के तीन आरोपी के जाने के बाद ट्रक को ऑटोनगर (आंध्र-प्रदेश के विजयवाड़ा में है) में खड़ा कर दिया और वहां से घर चला गया.



पहले मकैनिक और फिर सीसीटीवी से आरोपी का पता चला


पुलिस को डॉक्टर की जली हुई बॉडी मिली. और विक्टिम की बहन ने पुलिस को बताया था कि उनकी स्कूटी खराब हो गई थी. मदद करने के लिए दो लोग आए थे. इसके बाद पुलिस ने आसपास के सभी टायर मकैनिकों को खोजना शुरू किया. इसी दौरान पुलिस को एक मकैनिक मिला, जिसने बताया कि लाल रंग की स्कूटी में कोई हवा भरवाने के लिए आया था. एनबीटी के मुताबिक, पुलिस ने घटनास्थल के आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाले. उन्हें दो आरोपी दिखाई दिए, जिनके पास वो स्कूटी थी. फिर वहीं दूसरे फुटेज में उन्हें एक ट्रक भी दिखाई दिया, पर उसका रजिस्ट्रेशन नंबर साफ नहीं था. फिर पुलिस ने फुटेज की टाइमिंग पीछे की और फिर देखना शुरू किया, तो उन्होंने पाया कि ट्रक एक-दो घंटे से नहीं, बल्कि 6-7 घंटे से वहीं सड़क के किनारे खड़ा था. इसमें ट्रक का रजिस्ट्रेशन नंबर भी दिखाई दिया. उससे ट्रक के मालिक का नाम पता चला. पुलिस ने ट्रक के मालिक श्रीनिवास रेड्डी को कॉल किया. फिर उनसे सीसीटीवी फुटेज में दिख रहे आदमियों को पहचानने के लिए कहा. पर श्रीनिवास पहचान नहीं सके. लेकिन उन्होंने इतना जरूर बताया कि ये ट्रक आरिफ के पास था.


डॉक्टर को जलाने के लिए पेट्रोल पंप से फ्यूल लिया था


वहीं, पुलिस की दूसरी टीम भी केस की जांच में जुटी थी. उन्होंने पेट्रोल पंप के सीसीटीवी फुटेज को खंगालना शुरू किया. क्योंकि डॉक्टर को जलाने के लिए पेट्रोल पंप से ही पेट्रोल या डीजल लाया गया था. पुलिस को फुटेज में आरोपी नजर आए, जो बोतल में फ्यूल ले रहे थे. और ये वही थे, जो टायर मकैनिक के पास भी गए थे. पुलिस के मुताबिक, आरोपियों ने शाम 5 बजे से ही शराब पीनी शुरू कर दी थी. और रात के 9:30 बजे तक वो शराब पी ही रहे थे. फिर पुलिस ने मोबाइल फोन टावर की लोकेशन और ट्रक मालिक से मिली जानकारी के आधार पर आरिफ और उसके तीन साथियों को गिरफ्तार किया.


आरोपी की मां ने कहा 'सज़ा दो'


वेटनरी डॉक्टर के मामले में मुख्य आरोपी आरिफ की मां ने मीडिया से बात की थी. मां के मुताबिक, उनके बेटे ने घटना के बाद आकर उन्हें बताया था कि उसकी गाड़ी से किसी लड़की का एक्सीडेंट हो गया और इससे उसकी मौत हो गई. आरिफ के पापा हुसैन का कहना है कि उन्हें आरिफ के अपराध के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. आरिफ जिस सज़ा के लायक है, उसे वो सज़ा मिलनी चाहिए. मूल बी ने ये भी बताया था कि बाकी तीन आरोपी उनके घर आते-जाते रहते थे. और अब चेन्ना की मां का भी बयान आया है. उनका कहना है कि अगर उनके बेटे ने गैंगरेप, मर्डर और डॉक्टर को जलाया है, तो उनके बेटे को भी वैसे ही जला देना चाहिए.






हैदराबाद गैंगरेप पीड़िता के पिता-बहन और मां ने सुनाई उस रात की आपबीती





हैदराबाद कांड के बाद आजतक की टीम पीड़िता के घर गई और उसने पीड़िता के माता-पिता और इकलौती बहन से बात की. मां ने कहा कि उनकी बेटी को जिस तरह से जलाया गया वैसे ही उन दोषियों को भी जलाया जाए. इस मामले पर जल्द से जल्द कार्रवाई हो.









  • पिता- अपराधी हैं और उन्हें जल्द से जल्द सजा मिलनी चाहिए

  • पीड़िता की मां बोली- दोषियों को भी उसी तरह जला दिया जाए

  • पीड़िता की बहन- पुलिस का पूरे मामले में रवैया बेहद ढीला

  • बहन ने बताया- घटनास्थल उनके घर से महज 2 किलोमीटर दूर


हैदराबाद में एक पशु चिकित्सक के साथ रेप और मर्डर की घटना के बाद जहां एक ओर पूरे देश में रोष है तो वहीं संसद में इस मामले की गूंज सुनाई दे रही है. पशु चिकित्सक के साथ हुई बर्बरता के बाद आजतक ने पीड़िता के परिजनों से बात की. पीड़िता के पिता का कहना है कि अपराध करने वालों की उम्र बेहद कम है, लेकिन उन्होंने बड़ा काम कर दिया. वे अपराधी हैं और उन्हें जल्द से जल्द सजा मिलनी चाहिए. पीड़िता की मां का कहना है कि बेटी को जिस तरह से जलाया गया उसी तरह अपराधियों को भी जलाया जाए.


हैदराबाद कांड के बाद आजतक की टीम पीड़िता के घर गई और उसने पीड़िता के माता-पिता और इकलौती बहन से बात की. मां ने कहा कि उनकी बेटी को जिस तरह से जलाया गया वैसे ही उन दोषियों को भी जलाया जाए. इस मामले पर जल्द से जल्द कार्रवाई हो.


 


पुलिस सीसीटीवी फुटेज देखती रही


पीड़िता के पिता का कहना है कि जिस वक्त उनकी बेटी का फोन आया था उस वक्त वह घर पर नहीं थे. वो कोल्हापुर में थे. हालांकि उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस का पूरे मामले में रवैया बेहद ढीला था. पुलिस शुरुआत में स्पॉट पर नहीं गई और सिर्फ सीसीटीवी कैमरा देखती रही. हालांकि सीसीटीवी फुटेज में पीड़िता नहीं दिखी. यहां तक की पुलिस ने उनकी ही बेटी पर सवाल खड़े कर दिए कि वह कहीं चली गई.





 

 

पीड़िता के पिता कहना है कि दोषियों को जल्द से जल्द सजा मिलनी चाहिए. पहले निर्भया के आरोपियों को छोड़ दिया, और अब यह कांड हो गया. दोषियों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए.




पीड़िता की बहन का कहना है कि वह इस वारदात के बाद से घर नहीं निकली है. पुलिस की कोई मदद नहीं मिली. अगर समय रहते उसे मदद मिलती तो वह जिंदा बच जाती. बहन की मांग है कि दोषियों को जल्द से जल्द सजा मिले.


घटनास्थल घर से महज 2 किलोमीटर दूर


पीड़िता की बहन ने आजतक से बताया कि जिस जगह घटना हुई वो उनके घर से महज 2 किलोमीटर ही दूर है. बहन की जब कॉल आई तो सिर्फ 6 मिनट ही बात हुई. उन्होंने बताया कि उसके फोन में रिकॉर्डिंग की सुविधा है और बहन के साथ उसकी आखिरी कॉल रिकॉर्ड हो गया जिसमें उसने कहा था कि डर लग रहा है.




बहन ने बताया कि वह उससे महज डेढ़ साल ही बड़ी थी, लेकिन वह बेहद ख्याल रखती थी. यहां तक कि वह खाना भी पैक करती थी. कई बार वह उसे खाना भी खिलाती थी. वह सबकी मदद करती थी.


उसने अपने सपने पूरे किएः पिता


पिता ने बताया कि वो बहुत होनहार लड़की थी. उसने अपने सारे सपने पूरे कर लिए थे. उसने रोजाना 14-14 घंटे पढ़ाई की. उसने 5 साल डॉक्टरी की पढ़ाई की. उसने सर्विस कमीशन की परीक्षा पास और 3 साल नौकरी की.


पिता ने अपनी बेटी के बारे में बताया कि वह अब उसकी शादी की तैयारी में थे और 2-3 महीने में उसकी शादी करने की योजना थी. साथ ही वह पीजी करने की तैयारी में जुटी थी, लेकिन वह शादी के बाद पीजी करने वाली थी. वो जो चाहती थी हमने उसे पूरा करने में मदद की. बेटी की चाहत पूरा करना हमारा फर्ज होता है.


लड़कों को भी संस्कार दिए जाएंः पिता


साथ ही उन्होंने कहा कि लड़कों को भी संस्कार दिए जाने की जरुरूत. घर से संस्कार दिए जाने से इस पर इस तरह की घटनाओं पर रोक लगेगी. साथ ही उन्होंने लड़कियों में भी जागरुकता फैलाने की बात कही.


उन्होंने कहा कि बच्चियों में जागरुकता फैलाने की जरूरत है. पुलिस को भी बच्चियों को इस संबंध में जागरुकता दिया जाना चाहिए. पुलिस जागरुकता को लेकर कार्यक्रम बनाए और नंबर डायल करने को बारे में बताए. नंबर डायल करने को लेकर जागरुकता होनी चाहिए.


पीड़िता ने पिता ने 100 नंबर डायल की आलोचना करते हुए कहा कि इसमें काफी समय लगता है. फोन करने पर कहा जाता है कि 1 नंबर डायल करो. 2 नंबर डायल करो. इसमें काफी समय लग जाता है. इस प्रक्रिया में काफी सुधार लाया जाना चाहिए.


पिता ने बताया कि आखिरी कॉल के दौरान उनकी बेटी ने कहा था कि फल काटकर रखना. उसे फल पसंद था.



क्रिकेट

 भारत का गेंदबाजी आक्रमण शानदार, लेकिन स्पिनर्स ऑस्ट्रेलिया में संघर्ष करते हैं : रिकी पॉन्टिंग





  • पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पॉन्टिंग ने भारतीय तेज गेंदबाजों की तारीफ की

  • पॉन्टिंग ने कहा- ऑस्ट्रेलिया में अश्विन, जडेजा से बेहतर है नाथन लॉयन का रिकॉर्ड 

  • लियोन ने घर में 4 बार भारत के खिलाफ 5 विकेट लिए, अश्विन एक बार भी ऐसा नहीं कर पाए


 

ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान रिकी पॉन्टिंग ने भारत के तेज गेंदबाजों की तारीफ की। उन्होंने कहा कि भारत का गेंदबाजी आक्रमण शानदार, लेकिन स्पिनर्स ऑस्ट्रेलिया में संघर्ष करते हैं। उन्होंने मंगलवार को ऑस्ट्रेलिया की एक क्रिकेट वेबसाइट से यह बात कही। उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलियाई स्पिनर नाथन लियोन का अपने घर में प्रदर्शन रविचंद्रन अश्विन और रविंद्र जडेजा से ज्यादा अच्छा है।


पॉन्टिंग ने कहा, ''कुछ सालों में भारत का गेंदबाजी आक्रमण मजबूत हुआ है। जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी शानदार गेंदबाजी कर रहे हैं। इसमें इशांत शर्मा, उमेश यादव, अश्विन और जडेजा को जोड़ दिया जाए तो टीम की ताकत और बढ़ जाती है। लेकिन ऑस्ट्रेलियाई परिस्थितियों में भारतीय स्पिनर्स संघर्ष करते हैं। यहां नाथन लियोन का रिकॉर्ड भारतीय स्पिनर्स से अच्छा है।''


 



  •  लियोन ने घर में भारत के खिलाफ 4 बार 5 विकेट लिए



लियोन ने ऑस्ट्रेलिया में खेले 45 टेस्ट में 171 विकेट लिए हैं। इसमें भारत के खिलाफ 51 विकेट हैं, जो उन्होंने 11 टेस्ट में हासिल किए। वह घरेलू जमीन पर 4 मौकों पर भारत के खिलाफ 5 विकेट ले चुके हैं। अश्विन ने अब तक


ऑस्ट्रेलिया में खेले 7 टेस्ट में 27 विकेट लिए हैं। वह यहां एक बार भी 5 विकेट नहीं ले पाएं हैं जबकि करियर में वह 27 बार ऐसा कर चुके हैं। भारतीय स्पिनर ने 70 टेस्ट में 362 विकेट लिए हैं।  



  • 'न्यूजीलैंड के खिलाफ पहले टेस्ट में टीम में बदलाव की उम्मीद नहीं'


पॉन्टिंग ने न्यूजीलैंड सीरीज को लेकर कहा, मुझे पहले टेस्ट के प्लेइंग-11 में बदलाव होता नहीं दिख रहा है। क्योंकि टीम अच्छा खेल रही है। उसने हाल ही में पाकिस्तान को दो मैचों की सीरीज में हराया है। इस जीत के साथ आईसीसी टेस्ट चैंपियनशिप में ऑस्ट्रेलिया दूसरे स्थान पर आ गया है। उसके 7 मैचों से 176 अंक है। जबकि पहले स्थान पर 360 अंकों के साथ भारत है। 



  • ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड के बीच 12 दिसंबर को खेला जाएगा पहला टेस्ट


ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड के बीच 3 मैचों की टेस्ट सीरीज की शुरुआत 12 दिसंबर से पर्थ में होगी। दूसरा टेस्ट 26 दिसंबर से मेलबर्न जबकि तीसरा 3 जनवरी से सिडनी में खेला जाएगा। 



Sunday 1 December 2019

राज ठाकरे का क्या है भविष्य


राज ठाकरे का क्या है भविष्य, क्या उद्धव की चिंता बढ़ाएंगे या उनके क़रीब चले जाएंगे?



शिवसेना-बीजेपी के अलग होने और शिवसेना के एनसीपी और कांग्रेस के साथ जाने के बाद से यह चर्चा ज़ोर पकड़ रही है कि अब राज ठाकरे का राजनीतिक भविष्य क्या होगा. शनिवार को विधानसभा में हुए बहुमत परीक्षण में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के विधायक तटस्थ रहे थे. उन्होंने किसी के पक्ष में वोट नहीं डाला था.


महाराष्ट्र की राजनीति में ऐतिहासिक परिवर्तन हो रहे हैं, ऐसे में क्या महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) की राजनीति भी बदेलगी?


बीबीसी के भारतीय भाषाओं के डिजिटल एडिटर मिलिंद खांडेकर की माने तो राज ठाकरे के पास अब बीजेपी के साथ जाने का विकल्प है.


मिलिंद बताते हैं, ''राज ठाकरे की पार्टी मनसे को 13 साल से अधिक समय हो गया है. उन्हें अभी तक राज्य की सरकार में हिस्सेदारी नहीं मिली. जब मनसे का गठन हुआ था तब महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन की सरकार थी उसके बाद 2014 में बीजेपी सत्ता में आ गई और अब शिवसेना सरकार का नेतृत्व कर रही है. तो ऐसी सूरत में मनसे के पास बीजेपी के साथ जाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है. लेकिन सवाल यह है कि क्या बीजेपी मनसे के साथ जाने के लिए तैयार होगी.''


मिलिंद अपने बातों को और विस्तार देते हुए कहते हैं, ''राज ठाकरे का प्रभाव क्षेत्र मुंबई से बाहर नहीं है. उनकी पकड़ मुंबई और नासिक में है. उनकी पार्टी की पकड़ पूरे राज्य पर नहीं है. इसलिए फ़िलहाल ऐसा नहीं लग रहा कि बीजेपी उनके साथ जा रही है. यह सवाल चुनाव के दौरान ज़रूर उठ सकता है. फ़िलहाल तो राज ठाकरे के लिए चुप रहने के सिवाए कोई दूसरा रास्ता नहीं है.''


वहीं वरिष्ठ पत्रकार धवल कुलकर्णी मानते हैं कि राज ठाकरे को जब मौक़ा मिलेगा तो वो शिवसेना के लिए चुनौती ज़रूर पेश करेंगे.


धवल कुलकर्णी कहते हैं, ''अगर राज ठाकरे शिवसेना के लिए मुश्किलें खड़ी करेंगे तो उन्हें बीजेपी का साथ भी मिलेगा. शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच वैसे भी विचारधारा के स्तर पर सामंजस्य की कमी है. शिवसेना को सरकार चलाते समय हिंदुत्व और मराठी अस्तित्व के अपने दो अहम मुद्दों को पीछे रखना होगा. ऐसी हालत में जब शिवसेना मराठी अस्तित्व के मुद्दे पर पीछे हटेगी तो मनसे के पास इस मुद्दे को उठाने का मौक़ा रहेगा और शिवसेना के लिए मुश्किलें भी पैदा कर सकती है.''


''वैसे राज ठाकरे के रुतबे में पहले के मुक़ाबले गिरावट आई है. साल 2009 में उनके 13 विधायक थे जबकि साल 2014 और 2019 में उनके सिर्फ़ एक विधायक ही विधानसभा तक पहुंच सके. लेकिन हमें राज ठाकरे के जलवे पर शक़ नहीं करना चाहिए, वो किसी भी मौक़े को भुनाने में पीछे नहीं रहते. उन्होंने ऐसा ही काम उत्तर भारतीय और मराठा पहचान के मुद्दे पर भी किया है. क्या पता आने वाले पांच सालों में हमें दोबारा पुराने वाले राज ठाकरे देखने को मिले.''



'राज ठाकरे को काम करने की ज़रूरत'



अगर राज ठाकरे को राज्य की राजनीति में अपनी छाप छोड़नी है तो उन्हें काम की ज़रूरत पड़ेगी. ऐसा मानना है वरिष्ठ पत्रकार विजय छोमारे का.


वो कहते हैं, ''महाराष्ट्र की संसदीय राजनीति में राज ठाकरे की कोई जगह नहीं है, क्योंकि उनकी पार्टी से सिर्फ़ एक ही विधायक हैं. मौजूदा हालात में वो किसी का साथ दें उसका कोई मतलब नहीं है. तो अगर राज ठाकरे को राज्य की राजनीति में ख़ुद को ज़िंदा रखना है तो उन्हें काम करना होगा, जो उन्होंने अभी तक नहीं किया है.''


''राज ठाकरे ने पार्टी संगठन को मज़बूत करने की दिशा में अधिक काम नहीं किया है. जब चुनाव आते हैं तब वो सिर्फ़ कुछ रैलियां करते हैं और सरकार की आलोचना करते हैं. लेकिन एक राजनीतिक दल को आगे बढ़ने के लिए और भी बहुत कुछ करना होता है.''


''पिछले पांच साल में उनके पास कई बड़े मौक़े थे लेकिन उन्होंने कभी भी उसे गंभीरता से नहीं लिया. समसामयिक राजनीति में उनका स्थान ऐसा हो गया है जैसे वो या तो सिर्फ़ उन्हीं मुद्दों पर बोलेंगे जिनकी उन्हें चिंता है या फिर जब उनके कार्यकर्ता किसी विरोध में हिस्सा ले रहे होंगे.''


क्या राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे साथ आएंगे?


राज ठाकरे शिवाजी मैदान में आयोजित हुए उद्धव ठाकरे के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे. इसके साथ ही राज और उद्धव दोनों ही शरद पवार के क़रीबी बताए जाते हैं. ऐसे में इस बात की चर्चा भी गर्म है कि क्या दोनों भाई एक बार फिर साथ मिलकर काम करेंगे. हालांकि वरिष्ठ पत्रकार अभिजीत ब्रह्मांठकर इन अटकलों को खारिज करते हैं.


वो कहते हैं, ''परिवार के साथ खड़ा होना और राजनीतिक क़दम उठाना, इन दोनों में बड़ा फ़र्क़ होता है. कुछ दिन पहले जब यह घोषणा हुई थी कि वर्ली से आदित्य ठाकरे चुनाव लड़ेंगे तो राज ठाकरे ने वहां से मनसे का उम्मीदवार नहीं उतारा. वो इस बात को हवा नहीं देना चाहते थे कि राज ठाकरे ने जानबूझकर ठाकरे परिवार के सदस्य के ख़िलाफ़ उम्मीदवार खड़ा किया है.''


''दूसरी बात यह है कि राज ठाकरे ने हमेशा परिवार और राजनीति को अलग-अलग रखा है. जब उनके बेटे अमित की शादी थी तब वो उद्धव ठाकरे को न्योता देने ख़ुद गए थे. उस शादी समारोह में उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे और रश्मी ठाकरे सभी शामिल हुए थे. अब जब उद्धव ठाकरे का शपथ ग्रहण समारोह था तो राज ठाकरे उसमें शामिल हुए. लेकिन इसका यह मतलब बिलकुल नहीं है कि ये दोनों भाई राजनीतिक तौर पर साथ आ जाएंगे.''



मनसे की क्या स्थिति है?


मनसे के प्रवक्ता संदीप देशपांडे ने बीबीसी के साथ बातचीत में कहा था कि मनसे अपने महाराष्ट्र धर्म के रास्ते पर ही चलती रहेगी और मराठी मानुष के पक्ष लेगी.


संदीप देशपांडे कहते हैं, ''इस तरह के निष्कर्ष निकालने का कोई फ़ायदा नहीं कि मनसे बीजेपी के साथ चली जाएगी या किसी और पार्टी के साथ चली जाएगी. एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस के साथ आने का यह मतलब नहीं कि मनसे बीजेपी के साथ जाने वाली है. मनसे अपनी भविष्य की रणनीति यह देखने के बाद तय करेगी कि महा विकास अगाढ़ी की सरकार कैसे काम करती है. वो क्या सही और ग़लत फ़ैसले लेती है, उनके फ़ैसले मराठी मानुष के हित में होते हैं या नहीं.''


राज और उद्धव ठाकरे के साथ आने की संभावनाओं पर देशपांडे कहते हैं, ''मुझे नहीं लगता कि उद्धव और राज ठाकरे साथ आएंगे. मनसे और शिवसेना की विचारधारा अलग-अलग है. शिवसेना मराठी मानुष के समर्थन की सिर्फ बात करती है लेकिन मनसे के कार्यकर्ता मराठी मानुष के लिए लड़ते हुए जेल तक जाते हैं. मनसे अपने इसी रास्ते पर आगे भी चलती रहेगी.''



मोदी सरकार सुस्त अर्थव्यवस्था को रफ़्तार क्यों नहीं दे पा रही

इसी सप्ताह भारत सरकार ने जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद के नए आंकड़े जारी किए और इन आंकड़ों ने इस बात की पुष्टी कर दी है कि भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार ख़राब दौर से गुज़र रही है.




मौजूदा तिमाही में जीडीपी 4.5 फ़ीसद पर पहुंच गई जो पिछले छह साल में सबसे निचले स्तर पर है. पिछली तिमाही की भारत की जीडीपी 5 फ़ीसदी रही थी.


इस साल जुलाई में बजट पेश होने के बाद से सरकार ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कई कदम उठाए हैं.


लेकिन अर्थव्यवस्था से जुड़े आंकड़ें देखने पर सवाल उठता है कि क्या सरकार के उठाए क़दम कारगर साबित हो रहे हैं?


 


पढ़िए शिशिर सिन्हा का नज़रिया -



इस दरमियान आप देखेंगे कि सरकार की तरफ़ से 30 से भी अधिक ऐसे क़दम उठाए गए हैं.


लेकिन सबसे अधिक चर्चा जिस बात की हुई है वो है कॉर्पोरेट टैक्स कट की. 20 सितंबर को कॉर्पोरेट टैक्स में कमी करने की घोषणा हुई थी.


इस टैक्स में कमी के दो स्तर हैं. 22 प्रतिशत की दर सभी कंपनियों पर लागू करने की बात हुई थी जबकि नई मैनुफ़ैक्चरिंग कंपनियों पर 15 प्रतिशत की दरों की बात हुई थी.


सबसे बड़ा सवाल ये उठा कि क्या इस नई कटौती का अर्थव्यवस्था को कोई फ़ायदा हुआ या नहीं.



अभी तक की स्थिति को देखें तो पता चलता है कि उसकी वजह से भारत में अब तक कोई नया निवेश नहीं आया है.


लेकिन इसके पीछे एक बड़ी वजह भी है. इस तरह के किसी फ़ैसले का असर देखने में दो-तीन महीने लगते हैं, कभी-कभी छह महीने तक भी लग जाता है.


अगर शेयर बाज़ार में देखें तो, बजट में सुपर रिच सरचार्ज जो बढ़ाया गया था उसका बुरा असर शेयर बाज़ार पर पड़ा था.


बाद में सरकार ने ये क़दम वापस ले लिया था लेकिन शेयर बाज़ार को तब तक हानि पहुंच चुकी थी. शेयर बाज़ार उस स्थिति से बहुत जल्दी नहीं उबर पाया.


उसके बाद अब भारतीय शेयर बाज़ार में जो स्थिति देखने को मिल रही है उसके लिए देश के भीतर के घटक उतने ज़िम्मेदार नहीं हैं जितना कि वैश्विक आर्थिक स्थिति है.


भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले वैश्विक कारण



दूसरा कारण ये है कि यूरोप, अमरीका, पूरे अफ्रीका या फिर पूरे एशिया में - दुनिया के तमाम देशों में कहीं न कहीं अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ी हुई है. कई जगहों पर मंदी की स्थिति है.अमरीका और चीन के बीच जो व्यापार युद्ध की स्थिति है उस कारण पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ा है. भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रभावित होने का सबसे बड़ा कारण यही है.


किसी भी देश की कमाई होने के लिए ज़रूरी है कि देश में बनने वाला सामान बिके. अगर हमारा सामान देश के बाहर बिकेगा तभी तो कमाई होगी.


भारत के ऊपर तो दोहरी मार है- भारत के भीतर घरेलू बाज़ार में भी माल नहीं बिक रहा और रही विदेशी बाज़ार की बात तो वहां हमारा माल ख़रीदने वाला कोई नहीं क्योंकि वहां स्थिति ख़राब है.


ये वो कारण हैं जिन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को कुछ हद तक प्रभावित किया है.


क्या अर्थव्यवस्था को लेकर हुई है नीतिगत ग़लतियां?



अर्थव्यवस्था ऐसी गाड़ी है जो निवेश और खपत दो पहियों पर चलती है.भारत ने अब तक निवेश बढ़ाने के उपाय किए हैं. लेकिन ज़रूरी ये भी है कि साथ-साथ खपत बढ़ाने के बारे में क़दम उठाए जाएं.


अगर सरकार निवेश बढ़ाती है लेकिन खपत बढ़ाने के लिए क़दम नहीं उठाती तो उसका कुछ न कुछ असर दिखता है.


बात बजट की हो या फिर उसके बाद की बात हो, ख़ासतौर पर कॉर्पोरेट टैक्स में कमी करने की बात हो - ये निवेश बढ़ाने के लिए बड़ा क़दम था.


खपत बढ़ाने के लिए सरकार को आयकर में कमी करने की ज़रूरत होगी.



आयकर में कमी की जाएगी तो लोगों के हाथों में अधिक पैसे आएंगे. इसके साथ अगर लोगों को भरोसा दिलाया जाता है कि उन्हें चिंता करने की ज़रूरत नहीं है और उनकी नौकरियां सुरक्षित हैं, तो लोग खपत करना शुरू करेंगे.


खपत बढ़ेगी तो उद्योग जगत अधिक निवेश करने और अधिक सामान बनाने के लिए उत्साहित होगा.


पूरी व्यवस्था में जो एक कमी है वो ये है कि खपत बढ़ाने के लिए लोगों के हाथों में अधिक पैसे देने का इंतज़ाम सरकार ने नहीं किया है.


अगर सरकार ने ये काम कर दिया तो अर्थव्यवस्था की स्थिति काफ़ी बेहतर हो सकती है.


 



Monday 25 November 2019

छिंदवाडा जिले की बेटी कुमारी विनीता नेटी बनी अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी

छिंदवाडा जिले की बेटी कुमारी विनीता नेटी बनी अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी


स्वीप आइकॉन बन मतदान प्रतिशत बढ़ाने में निभाई सक्रिय भूमिका


छिंदवाडा जिले की बेटी कुमारी विनीता नेटी फुटबॉल की अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी है, जो अब युवाओं की प्रेरणा स्रोत बन गई है। विनीता पिछले 8 सालों से फुटबॉल खेल रही है। साउथ अमेरिका के चिली में हुए अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉल मैच में विनीता को “फेयर प्लेयर अवॉर्ड”, से सम्मानित किया गया। इसके अलावा विनीता को मुंबई में आयोजित राष्ट्रीय मैच में “बेस्ट प्लेयर अवॉर्ड”,  इंटर यूनिवसिर्टी वेस्ट जोन फुटबॉल टूर्नामेण्ट पुणे में “बेस्ट मिडफील्डर अवॉर्ड”, स्कूल राज्य स्तरीय प्रतियोगिता नीमच में “बेस्ट प्लेयर अवॉर्ड” और स्कूल राज्य स्तरीय प्रतियोगिता छिंदवाडा में “बेस्ट डिफेन्सर अवॉर्ड” के अलावा अन्य अवार्ड मिल चुके हैं।


विनीता को आदिवासी महा-सम्मेलन के सम्मान समारोह में, डिस्ट्रिक्ट ओलम्पिक एसोसिऐशन छिंदवाडा, वर्ष 2011 में लाल बहादुर शास्त्री सम्मान तथा वर्ष 2017 के वीरमाता जीजाबाई सम्मान समारोह में सम्मानित किया गया है। आज भी विनीता मध्यप्रदेश टीम की प्रतिनिधि बनकर खेल रही हैं। उन्होंने मध्यप्रदेश का 8-9 बार राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व किया है।


      विनीता की उपलब्धियों के कारण उसे विधानसभा चुनाव 2018, लोकसभा चुनाव 2019 और विधानसभा उप चुनाव छिंदवाड़ा 2019 के दौरान जिला स्वीप आईकॉन बनाया गया। जिले के युवाओं को मताधिकार के प्रति जागरूक करने और उन्हें अपने मत का प्रयोग अनिवार्य रूप से करने की प्रेरणा देने के लिये विनीता ने जिले के गांव-गांव और शहर-शहर जाकर लोगों को जागरूक किया। परिणाम यह हुआ कि छिंदवाड़ा जिले का मतदान प्रतिशत प्रदेश में सर्वाधिक रहा,


विनीता अभी शासकीय राजमाता सिंधिया कन्या महाविद्यालय, छिन्दवाड़ा में स्नातक की पढ़ाई कर रही है। वह चाहती है कि जिले की खेल प्रतिभाएं न केवल छिन्दवाड़ा जिले, बल्कि मध्यप्रदेश और राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना नाम रोशन करें। इसके लिये विनीता खेल प्रतिभाओं को हर समय अपना मार्गदर्शन, सहयोग और समय देने को तैयार रहती है।


विकास कार्यो के लिए 61 नगरीय निकायों को 38 करोड़ आवंटित

नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा 61 नगरीय निकायों को विभिन्न विकास कार्यों के लिए 38 करोड़ रूपये आवंटित किए गए हैं। आयुक्त नगरीय प्रशासन एवं विकास श्री पी. नरहरि ने निर्देश दिये हैं कि यह राशि जिस कार्य के लिए आवंटित हुई है, उसी में खर्च की जाए।


नगरपालिक निगम ग्वालियर को अधोसंरचना विकास एवं नलकूप खनन के लिए 2 करोड़ 50 लाख, नगर पालिका सांरगपुर को बस स्टैण्ड निर्माण एवं विकास कार्यों के लिए 75 लाख, बैतूल को रोड़ एवं नाली निर्माण के लिए 75 लाख, सिहोरा को आदिवासी सामुदायिक भवन खितौला के लिए 50 लाख, वारासिवनी को जेसीबी खरीदने और अन्य विकास कार्यों के लिए 75 लाख, नगर परिषद तराना को नवीन कार्यालय भवन, फोरलेन मार्ग में विद्युतीकरण एवं नाली निर्माण, आलोट को स्वीमिंग पुल निर्माण, उद्यान विकास, नरवर को सड़क, बरेली को सड़क, सोयतकला को सी.सी.रोड़ और निबाड़ी को पंचकोषी परिक्रमा मार्ग के लिए 50-50 लाख रूपये आवंटित किये गए हैं।


इसी तरह, नगर पालिका खाचरौद और अलिराजपुर को 50-50 लाख, रेहली, छतरपुर, करेली, नागदा, सनावद, सबलगढ़, विदिशा, चंदेरी, बड़वानी, आष्टा, कोतमा, आगर, अम्बाह और गोटेगाँव को 75-75 लाख, झाबुआ और धार को एक-एक करोड़ रूपये विभिन्न विकास एवं आधोसंरचना विकास कार्यो के लिये स्वीकृत किये गये हैं।


नगर परिषद सैलाना, नलखेड़ा, पृथ्वीपुर, बिजावर, खुजनेर, राघौगढ़, सीतामऊ, शामगढ़, शाहपुरा, चित्रकूट, नागौद, पथरिया, राणापुर, महू, माचलपुर, छापीहेड़ा, कुक्षी, धरमपुरी, भीकनगाँव, पोलायकला, कालापीपल माकडोन, डीकेन, पिपलरवां, अठाना, बिछिया, लटेरी, पेटलावद और नगरपरिषद अकोड़ा को 50-50 लाख रूपये विभिन्न विकास कार्यो के लिये आवंटित किये गये हैं।


मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ द्वारा राष्ट्रीय खेलकूद प्रतियोगिता के प्रतीक चिह्न एवं शुभांकर का अनावरण


मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों की राष्ट्रीय खेलकूद प्रतियोगिता के प्रतीक चिह्न (लोगो) एवं शुभांकर (मेस्कॉट) का आज मंत्रालय में अनावरण किया। प्रतियोगिता 9 से 13 दिसम्बर तक भोपाल में आयोजित होगी। प्रतियोगिता में 16 खेल विधाओं में 23 राज्यों के लगभग पाँच हजार खिलाड़ी एवं सहयोगी अधिकारी भाग लेंगे। मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने खेल प्रतियोगिता के सफल आयोजन और इसमें भाग ले रहे प्रतिभागियों को शुभकामनाएँ दीं।


मुख्यमंत्री द्वारा एकलव्य राष्ट्रीय खेलकूद प्रतियोगिता के लिए जारी प्रतीक चिह्न महाभारत के पात्र एकलव्य की प्रतिकृति पर आधारित है। चित्र में एकलव्य, शक्ति, समर्पण, निष्ठा एवं निडरता को प्रदर्शित करता है। इसके आस-पास हरे रंग का गोल आवरण प्रकृति और पृथ्वी को इंगित करता है। यह प्रकृति को संरक्षित करने की भी प्रेरणा देता है। प्रतीक चिह्न में अंकित पीला रंग खुशी, सकारात्मकता और ऊर्जा का प्रतीक है।


एकलव्य राष्ट्रीय खेलकूद प्रतियोगिता के लिए मुख्यमंत्री द्वारा जारी शुभांकर 'बाघ मुन्ना' है। बाघ न केवल राष्ट्रीय पशु है बल्कि मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का भी दर्जा प्राप्त है। बाघ गर्व, ताकत, निडरता एवं नेतृत्व क्षमता का प्रतीक है। राष्ट्रीय खेलकूद प्रतियोगिता के लिए बनाए गए प्रतीक चिह्न और शुभांकर प्रतिभागियों के लिये प्रेरणास्त्रोत होंगे।


मुख्यमंत्री को राष्ट्रीय खेलकूद प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को दिए जाने वाला स्टोल भेंट किया गया। यह स्टोल चंदेरी के बुनकरों द्वारा विशेष रूप से तैयार किया गया है। इस अवसर पर मुख्य सचिव श्री एस.आर. मोहन्ती, प्रमुख सचिव आदिम जाति कल्याण श्रीमती दीपाली रस्तोगी एवं विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।


Friday 22 November 2019

कितना महंगा होने जा रहा है मोबाइल इंटरनेट और क्यो

भारत ऐसा देश है जहां पर मोबाइल डेटा की दरें दुनिया में सबसे कम हैं. यहां पर चीन, जापान और दक्षिण कोरिया से भी सस्ता मोबाइल डेटा मिलता है.



लेकिन आने वाले समय में भारतीय ग्राहकों को इसी डेटा के लिए ज़्यादा रकम चुकानी पड़ सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि दो प्रमुख टेलिकॉम कंपनियों ने जल्द ही मोबाइल डेटा का दाम बढ़ाने की घोषणा की है.


भारतीय बाज़ार में एयरटेल और वोडाफ़ोन-आइडिया की राजस्व के मामले में आधे से ज़्यादा हिस्सेदारी है. ये दोनों ही कंपनियां जल्द ही मोबाइट डेटा को महंगा करने वाली हैं.


हाल ही में दोनों कंपनियों ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 10 अरब डॉलर का घाटा दिखाया है. ऊपर से सुप्रीम कोर्ट ने एक पुराने मामले को निपटाते हुए हाल ही में आदेश दिया है कि सभी टेलिकॉम कंपनियों को 90,000 करोड़ रुपए की रकम सरकार को देनी होगी.


इसी के बाद वोडाफ़ोन ने हाल ही में बयान जारी किया है, "मोबाइल डेटा आधारित सेवाओं की तेज़ी से बढ़ती मांग के बावजूद भारत में मोबाइल डेटा के दाम दुनिया में सबसे कम हैं. वोडाफ़ोन आइडिया 1 दिसंबर 2019 से अपने टैरिफ़ की दरें उपयुक्त ढंग से बढ़ाएगा ताकि इसके ग्राहक विश्वस्तरीय डिजिटल अनुभव लेते रहें."


 

एयरटेल की ओर से भी इसी तरह का बयान जारी किया गया है. नई दरें क्या होंगी, इस बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं मिल पाई है. जियो ने भी अभी तक ऐसी कोई घोषणा नहीं की है.



क्यों बढ़ेंगे दामकंपनियां क्यों डेटा का दाम बढ़ा रही हैं, किस हद तक यह क़ीमत बढ़ेगी और आम आदमी पर इसका कितना फ़र्क पड़ेगा? इन्हीं सवालों के जवाब के लिए बीबीसी संवाददाता आदर्श राठौर ने बात की टेलिकॉम और कॉरपोरेट मामलों के विशेषज्ञ आशुतोष सिन्हा से. आगे पढ़ें, क्या है उनकी राय:


पहले टेलिकॉम सेक्टर में कई कंपनियां थीं और उनमें प्रतियोगिता के कारण डेटा की क़ीमतें गिरी थीं. ये क़ीमतें इसलिए भी गिरी थीं क्योंकि दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में भारत में ग्राहकों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही थी.


भारत में 22 टेलिकॉम सर्कल हैं और उनमें तीन कैटिगरीज़ हैं- A, B और C. इनमें C कैटिगरी के सर्कल्स (जैसे कि ओडिशा) में जियो, एयरटेल व दूसरी कंपनियां नए ग्राहक बनाना चाहती थीं. ऐसा इसलिए, क्योंकि यहां के ग्राहक हर महीने डेटा पर बेशक कम रकम ख़र्च करते हैं लेकिन इनकी संख्या इतनी है कि आपकी कुल कमाई अच्छी हो जाती है.


इसी कारण वे कुछ समय के लिए नुक़सान सहकर भी ग्राहकों को आकर्षित करना चाह रही थी. वह दौर अब ख़त्म हो गया है. साथ ही कंपनियां भी कम बची हैं, इसलिए स्वाभाविक है कि डेटा की क़ीमत बढ़ेगी.


कितनी बढ़ोतरी होगी


एकदम बहुत बढ़ोतरी बड़ी नहीं होगी क्योंकि कंपनियां एकदम से 15-20 प्रतिशत दाम नहीं बढ़ा सकतीं. इसलिए हर कंपनी अपने हिसाब से योजना बनाएगी कि और देखेगी कि किस सेगमेंट से कितना राजस्व बढ़ना है.


दरअसल कंपनियां 'एवरेज रेवेन्यू पर यूज़र' यानी प्रति व्यक्ति होने वाली कमाई को देखती है. अभी भारत में यह हर महीने लगभग 150 रुपए से कुछ कम है. आम भाषा में ऐसे समझें कि एक आम व्यक्ति हर महीने 150 रुपए ख़र्च कर रहा है.


तो कंपनियां ऐसी योजना ला सकती है कि अभी आप महीने में 100 रुपए का प्लान ले रहे हैं तो 120 रुपए का प्लान लीजिए, हम आपको 100 रुपए वाले प्लान से दोगुना डेटा देंगे.


इससे कंपनियां की 20 फ़ीसदी कमाई तो बढ़ जाएगी लेकिन उनका डेटा का ख़र्च उतना नहीं बढ़ेगी कि परेशानी होने लगे.


फिर भी, कंपनियां को अगर राजस्व बढ़ाना है तो ऐसा तभी हो सकता है जब वे मोटा ख़र्च करने वाले ग्राहकों से और पैसा ख़र्च करवाएंगी.ए


एजीआरपर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला


वोडाफ़ोन-आइडिया और एयरटेल के घाटा दिखाने के साथ-साथ हाल ही में लाइसेंस फ़ीस से जुड़े विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आया है.


मामला है एजीआर यानी अडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू का. यह 15 साल पुराना केस है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट का अभी फ़ैसला आया है.


जब मोबाइल सर्विस शुरू हुई थी, तो ऑपरेटरों से सरकार फ़िक्स्ड लाइसेंस फ़ीस लेती थी. यानी आपके 100 ग्राहक हों या लाखों, आपको इसके एवज में निश्चित रकम देनी है.


लेकिनअगस्त 1999 में नई पॉलिसी आई जिसके मुताबिक़ ऑपरेटरों को सरकार के साथ रेवेन्यू शेयर करना होगा. यानी आपको 100 रुपए की कमाई में से भी निश्चित प्रतिशत सरकार को देना होगा और हज़ारों-करोड़ की कमाई में से भी.


इससे सरकार की कमाई भी बढ़ गई क्योंकि टेलिकॉम कंपनियां भी बढ़ गईं और उनके ग्राहक बढ़ने से सरकार को भी फ़ायदा हुआ. लेकिन एजीआर का झगड़ा ये है कि इसमें किस-किस चीज़ को शामिल किया जाए.


अब यह टेलिकॉम कंपनियों की क़िस्मत ख़राब है कि इसी दौर में सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला उनके ख़िलाफ़ आया है और उन्हें भारी-भरकम लंबित रक़म सरकार को चुकानी होगी.


अब इसका समाधान यह हो सकता है कि सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को सरकार ही नया क़ानून लाकर बदलकर कंपनियों को राहत दे या फिर डिपार्टमेंट ऑफ़ टेलिकॉम कहे कि हम आपके यह रक़म एकमुश्त नहीं लेंगे, आप धीरे-धीरे एक निश्चित अवधि में दे दीजिए.


दाम बढ़ाने से डर क्यों नहीं


प्रश्न यह उठता है कि जब कोई कंपनी डेटा को महंगा करेगी तो क्या उसके ग्राहक अन्य कंपनियों के पास नहीं चले जाएंगे?


मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (एमएनपी) अधिक सफल नहीं हुआ है. फिर बात आती है विकल्पों की. बीएसएनएल को भी मिला दिया जाए तो भारत में चार ही टेलिकॉम ऑपरेटर हैं. यानी ग्राहकों के पास बहुत विकल्प नहीं हैं.


अगर आज की तुलना 2008-10 से करें तो तब देश में 13 टेलिकॉम ऑपरेटर थे. अब स्थिति उल्टी हो गई है. पहले प्राइसिंग पावर यानी मूल्य तय करने की ताक़त कंपनियों के पास नहीं थी.


उस समय ग्राहकों के पास विकल्प बहुत थे. इसीलिए प्रतियोगिता के कारण कंपनियां मूल्य बढ़ाने से पहले सोचती थीं. लेकिन अब कम ऑपरेटर रह जाने के कारण प्राइसिंग पावर कंपनियों के पास आ गई है.



मध्यप्रदेश अधोसंरचना एवं कृषि विकास के लिए पुरस्कृत

मध्यप्रदेश अधोसंरचना एवं कृषि विकास के लिए पुरस्कृत


केन्द्रीय मंत्री श्री जावड़ेकर ने मंत्री श्री जयवर्द्धन सिंह को सौंपा अवार्ड 



केन्द्र सरकार ने मध्यप्रदेश को अधोसंरचना और कृषि विकास के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति के लिए सर्वश्रेष्ठ राज्यों की श्रेणी में पुरस्कृत किया है। मध्यप्रदेश सरकार की ओर से प्रदेश के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री जयवर्द्धन सिंह ने केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण श्री प्रकाश जावड़ेकर से यह पुरस्कार प्राप्त किया। 


मंत्री श्री जयवर्द्धन सिंह ने मध्यप्रदेश की विकास यात्रा की जानकारी देते हुए बताया कि कड़ी मेहनत, प्रेरणा और नई सोच ही विकास का मूल मंत्र है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ की सोच, अनुभव और प्रशासनिक क्षमता के कारण ही अब मध्यप्रदेश प्रगति की राह पर अग्रसर हुआ है। 


छिंदवाड़ा जिले के विकास मॉडल का जिक्र करते हुए श्री जयवर्द्धन सिंह ने कहा कि छिंदवाड़ा जिला प्रदेश में ही नहीं, पूरे देश में विकास का सूचक बन गया है। नगरीय विकास के क्षेत्र में किये गये कार्यों और नवाचारों का जिक्र करते उन्होंने बताया कि प्रदेश में विद्युत वाहन नीति शुरू की गई है। इसके अंतर्गत शुरू में 400 प्रदूषण-मुक्त बसें पाँच शहरों में शुरू की जाएंगी। इसके साथ ही राज्य में रियल एस्टेट नीति बनाई गई है, जो प्रदेश के 378 शहरों में लागू की जाएगी।


मंत्री श्री जयवर्द्धन सिंह ने बताया कि स्वच्छता के क्षेत्र में इंदौर मॉडल का अनुसरण प्रदेश के अन्य जिलों में भी किया जाएगा। उन्होंने बताया कि हाल ही में मध्यप्रदेश को बेस्ट स्मार्ट स्टेट अवार्ड से पुरस्कृत किया गया है। उन्होंने मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ के विकास मॉडल की सोच को पूरे प्रदेश में शीघ्र मूर्तरूप देने का आश्वासन दिया। 


आराधना नगर लीज रिन्यूवल प्रकरण का 15 दिन में होगा निराकरण

जनसम्पर्क मंत्री श्री पी.सी. शर्मा ने कहा है कि राज्य आवास संघ की कालोनी आराधना नगर के लीज रिन्यूवल के प्रकरण का अगले पन्द्रह दिन में निराकरण करवा दिया जाएगा। श्री शर्मा ने आज कलेक्ट्रेट में आराधना नगर के रहवासियों और जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ चर्चा के बाद यह जानकारी दी।


आवास संघ की आराधना नगर कालोनी को नजूल से मिली जमीन की लीज वर्ष 2006 में समाप्त होने और अब तक लीज का रिन्यूवल नहीं होने से कालोनी के 297 रहवासी परेशान थे। मंत्री श्री शर्मा के आश्वासन से रहवासियों में प्रसनन्ता का संचार हुआ है।


दूसरे चरण में 12 लाख से अधिक किसानों का कर्ज होगा माफ

शिक्षित बेरोजगारों के लिये ''मुख्यमंत्री खाद्य प्र-संस्करण योजना'' का क्रियान्वयन
केन्द्र ने अब तक नहीं दिए अति-वृष्टि और बाढ़ के नुकसान की भरपाई के लिए 6621.28 करोड़
 


किसान-कल्याण और कृषि विकास मंत्री श्री सचिन यादव ने बताया है कि राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता अन्नदाता किसान की समृद्धि है। राज्य सरकार ने अपने वचन पत्र के अनुसार जय किसान फसल ऋण माफी योजना लागू कर किसानों को ऋणमुक्त करने का अभियान चलाया है। पहले चरण में 20 लाख 22 हजार 731 पात्र किसानों के 7154 करोड़ 36 लाख रूपये के ऋण माफ किये गये हैं। दूसरे चरण, जो शीघ्र प्रारंभ किया जा रहा है, में 12 लाख 2 हजार 78 ऋण खाताधारक किसानों के ऋण माफ किये जाएंगे।


मंत्री श्री सचिन यादव ने कहा कि राज्य सरकार किसानों को हर कदम पर सहयोग कर रही है। प्रदेश में 5 मार्च 2019 को ''जय किसान समृद्धि योजना'' लागू कर रबी सीजन 2019-20 के लिए कृषि उपज मंडी एवं ई-उर्पाजन केंद्र के माध्यम से किसान द्वारा विक्रय किये गये गेहूँ पर 160 रूपये प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि का प्रावधान किया गया है। योजना में 92 लाख 67 हजार मीट्रिक टन गेहूँ विक्रय करने वाले 11 लाख 79 हजार किसानों को 1463 करोड़ 42 लाख की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी।


मुख्यमंत्री खाद्य प्र-संस्करण योजना


मंत्री श्री सचिन यादव ने बताया है कि प्रदेश में इस वर्ष से मुख्यमंत्री खाद्य प्र-संस्करण योजना लागू की गई है। योजना में शिक्षित बेरोजगार युवाओं को एक से ढाई एकड़ भूमि प्रति हितग्राही 30 साल के लिए लीज पर उपलब्ध कराई जाएगी। योजना में फूलों की खेती के लिए 100-100 एकड़ के क्लस्टर तैयार किये जा रहे हैं। दो नवीन उद्यानिकी महाविद्यालय रेहली एवं छिंदवाड़ा में प्रारंभ किए गए हैं। इंडो-इजराईल प्रोजेक्ट में उद्यानिकी के तीन सेंटर आफ एक्सीलेंस स्थापित किये जा रहे हैं। इनमें साईट्रस छिंदवाड़ा, वेजीटेबल मुरैना तथा फ्लोरीकल्चर का सेंटर भोपाल में स्थापित हो रहा है।


कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिये ''शुद्ध के लिए युद्ध''


मंत्री श्री सचिन यादव ने कहा है कि राज्य सरकार ने कृषि के क्षेत्र में विरासत में मिली बदहाल स्थिति को समृद्धता की ओर ले जाने का निश्चय किया है। इसके लिए किसानों को हर कदम पर हर तरह की मदद मुहैया कराई जा रही है। गुणवत्तापूर्ण खाद, बीज और कीटनाशक की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश में ''शुद्ध के लिए युद्ध'' अभियान चलाया जा रहा है। इस दौरान न सिर्फ बीज, उर्वरक और कीटनाशक के मानक स्तर का परीक्षण किया जा रहा है बल्कि कम मात्रा में सामग्री विक्रय, अनाधिकृत विक्रय, कालाबाजारी, अधिक मूल्य पर विक्रय आदि पर भी गंभीरता से कार्यवाही की जा रही है।


अब तक 1313 उर्वरक विक्रेताओं/ गोदामों का निरीक्षण कर 1096 नमूने लिये गये हैं एवं 110 प्रकरणों में अनियमितता पर कार्यवाही की गई है। उर्वरक निर्माण इकाइयों का भी निरीक्षण किया जा रहा है। इसी प्रकार 1120 बीज विक्रेताओं/ गोदामों का निरीक्षण कर 1129 बीज नमूने संकलित किये गये और 51 प्रकरणों में कार्यवाही की गई। कुल 334 पौध संरक्षण दवा विक्रेताओं/ गोदामों का निरीक्षण किया गया और 66 प्रकरणों में कार्यवाही की गई है। 


मंडियों में नगद भुगतान की व्यवस्था


मंत्री श्री सचिन यादव ने बताया कि कृषि उपज मंडी समितियों में कृषकों को उनकी कृषि उपज के विक्रय पर दो लाख रूपये तक के नगद भुगतान की व्यवस्था की गई है। बैंकों से एक करोड़ रूपये से अधिक नगद आहरण पर टीडीएस कटौती के आयकर अधिनियम के प्रावधानों से मंडियों में नगद भुगतान में आ रही कठिनाइयों की ओर भारत सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए मंडी व्यापारियों को इस प्रावधान से मुक्त कराने की पहल की गई है।


-नाम योजना से जुड़ी कृषि उपज मंडियाँ


किसान-कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री ने जानकारी दी कि राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना के द्वितीय चरण में राज्य सरकार द्वारा 25 कृषि उपज मंडियों को ई-नाम योजना से जोड़ा गया है। मंडी बोर्ड द्वारा 16 अगस्त, 2019 से प्रदेश की सभी मंडियों में एक साथ ई-अनुज्ञा प्रणाली लागू कर 4 लाख 14 हजार से ज्यादा ई-अनुज्ञा जारी की गई हैं। इससे मण्डी व्यापारियों का समय बचा है। प्रदेश में 27 मण्डी प्रांगण में सोलर एनर्जी प्लांट भी स्थापित किये गये हैं। कृषकों को मण्डी प्रांगण में संतुष्टि अनुरूप मूल्य प्राप्त नहीं होने पर चार माह की निःशुल्क सुविधा और 80 प्रतिशत राशि तक कृषि उपज का भुगतान करने के लिये कोलेटेरल मैनेजमेंट एजेंसीस के चयन की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। 


सब्जी एवं मसाला क्षेत्र विस्तार योजना


मंत्री श्री यादव ने बताया कि प्रदेश में किसानों की विगत 15 वर्षों की मांग को स्वीकार करते हुए राज्य सरकार ने सब्जी एवं मसाला क्षेत्र विस्तार योजना लागू की है। इसमें अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसानों के लिए अनुदान का प्रतिशत 50 से बढ़ाकर 70 कर दिया गया है। योजना में अब किसानों को प्रति हेक्टर 70 हजार रूपये तक का अनुदान मिलेगा।


किसानों को सस्ती बिजली


वचन-पत्र के वचन के अनुसार दस हॉर्स पॉवर तक के कृषि पंप उपभोक्ताओं की विद्युत दरों को आधा कर दिया गया है। पूर्व मे निर्धारित 1400 रूपये प्रति हॉर्स पॉवर प्रतिवर्ष कृषि पंपों की विद्युत दर को अब 700 रूपये कर दिया गया है। इससे लगभग 20 लाख किसान लाभान्वित हो रहे हैं। इस योजना में प्रति कृषि उपभोक्ता लगभग 47 हजार रूपये प्रति वर्ष सब्सिडी दी जा रही है। राज्य सरकार ने अब तक 2622 करोड़ 53 लाख रूपये की सब्सिडी प्रदान की है। अक्टूबर 2019 से मार्च 2020 तक के लिए 20 लाख 10 हजार कृषि पंपों के लिए करीब 6138 करोड़ रूपये की सब्सिडी का प्रावधान किया गया है।   स्थायी कृषि पंप कनेक्शन के अतिरिक्त अस्थायी कृषि पंप उपभोक्ताओं की विद्युत दरें भी कम की गई हैं। 


छोटे अजजा/अजा किसानों को नि:शुल्क बिजली


मंत्री श्री सचिन यादव ने बताया है कि एक हेक्टेयर तक की भूमि वाले अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति वर्ग के कृषकों को 5 हार्सपॉवर तक के कृषि पंप कनेक्शनों के लिये निःशुल्क बिजली दी जा रही है। इसके एवज में राज्य सरकार बिजली कंपनियों को 3800 करोड़ रूपये वार्षिक सब्सिडी देगी।  


जैविक खेती


मंत्री श्री सचिन यादव ने बताया कि  जैविक खेती के क्षेत्र में मध्यप्रदेश देश में पहले नंबर का राज्य है। एपीडा के अनुसार प्रदेश में 2 लाख 13 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में कपास, गेहूँ, धान, अरहर, चना, सोयाबीन इत्यादि फसलों की जैविक खेती की जा रही है। जैविक खेती के दृष्टिकोण से गौ-शालाएँ बेहद महत्वपूर्ण हैं। ग्राम पंचायत स्तर पर गौ-शालाओं का निर्माण कराया जा रहा है।


मध्यप्रदेश के शैक्षणिक उत्थान में सहयोग करे पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स : राज्यपाल

राज्यपाल श्री लालजी टंडन से आज नई दिल्ली में पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स के प्रतिनिधि-मण्डल ने मुलाकात की। राज्‍यपाल ने प्रतिनिधि-मण्डल को मध्यप्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिये तैयार किए गए रोड-मेप की जानकारी दी। उन्होंने प्रतिनिधि मण्डल से कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी के अंतर्गत मध्यप्रदेश के शैक्षिक उत्थान में सहयोग प्रदान करने का आग्रह किया। प्रतिनिधि-मण्डल ने राज्यपाल को हर संभव सहयोग के लिये आश्वस्त किया।


राज्यपाल से मिले प्रतिनिधि-मण्डल में गिन्नी इंटरनेशनल एवं जयपुरिया स्कूल ग्रुप के श्री शरद जयपुरिया, कैन्ट आर.ओ. के श्री महेश गुप्ता, पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के प्रेसीडेंट श्री डी.के. अग्रवाल और वरिष्ठ वाइस प्रेसीडेंट श्री संजय अग्रवाल शामिल थे।


Sunday 22 September 2019

मध्‍यप्रदेश में प्रति लीटर औसत पेट्रोल दो रुपए 91 पैसे और डीजल दो रुपए 86 पैसे महंगा होगा।








मध्‍यप्रदेश सरकार ने पेट्रोल, डीजल और शराब पर बढ़ाया पांच-पांच फीसदी वैट



















भोपाल। महंगाई की मार झेल रही जनता पर प्रदेश सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर वैट (वेल्यू एडेड टैक्स) बढ़ाकर और दबाव बढ़ा दिया है।




शुक्रवार रात बारह बजे से प्रदेश में पेट्रोल, डीजल और शराब पर पांच-पांच फीसदी वैट टैक्स बढ़ जाएगा। इससे प्रति लीटर औसत पेट्रोल दो रुपए 91 पैसे और डीजल दो रुपए 86 पैसे महंगा हो जाएगा। सरकार को इस कदम से महीने में 225 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय होगी।


वाणिज्यिक कर विभाग के प्रमुख सचिव मनु श्रीवास्तव ने बताया कि प्रदेश सरकार ने आर्थिक संसाधनों की जरूरत को देखते हुए यह कदम उठाया है। अब प्रदेश में पेट्रोल पर प्रति लीटर वैट 28 से बढ़कर 33 प्रतिशत हो जाएगा।


 


वहीं, डीजल पर वैट 18 की जगह 23 प्रतिशत की दर से वसूला जाएगा। शराब पर वैट पांच से बढ़ाकर दस प्रतिशत किया गया है। गौरतलब है कि इसके पहले सात जुलाई को पेट्रोल और डीजल पर केंद्र सरकार ने दो-दो और राज्य सरकार ने दो-दो रुपए प्रति लीटर का इजाफा किया था।











Saturday 21 September 2019

केंद्रीय दल ने माना मध्‍यप्रदेश में अतिवर्षा और बाढ़ से हुआ बड़ा नुकसान








अध्ययन दल ने नुकसान का जायजा लेने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ को बताए हालात।




















भोपाल। अतिवर्षा और बाढ़ से प्रदेश में बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है। केंद्रीय अध्ययन दल ने मंदसौर, रायसेन, विदिशा, राजगढ़, आगर-मालवा का मैदानी जायजा लेने के बाद मंत्रालय में शुक्रवार को देर शाम मुख्यमंत्री कमलनाथ से मुलाकात कर उन्हें नुकसान का फीडबैक दिया।




इस दौरान मुख्यमंत्री ने पूछा कि आप लोग नीमच गए या नहीं, वहां भी बड़ा नुकसान हुआ है। मैं सोमवार को दौरा करने जाऊंगा। हम जल्द ही राज्य की ओर से केंद्र सरकार को आर्थिक सहायता के लिए मांग पत्र भेजने वाले हैं। यह वास्तविकता पर आधारित होगा।


 


मुख्यमंत्री ने कहा कि बारिश के बाद स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़ा काम करना होगा। इसके लिए भी केंद्र को सहायता देनी चाहिए। मुख्यमंत्री से भेंट के बाद दल ने राजस्व विभाग के अधिकारियों के साथ अपने अनुभव साझा किए। इस दौरान मुख्य सचिव एसआर मोहंती, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव अशोक बर्णवाल सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।


राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के संयुक्त सचिव संदीप पौड्रिक की अगुआई में आए दल ने बताया कि विंध्य क्षेत्र को छोड़कर पूरे प्रदेश में भारी नुकसान हुआ है। सोयाबीन, मूंग और उड़द की फसलों को ज्यादा नुकसान पहुंचा है। कच्चे मकान बह गए तो रपटे, छोटे पुल-पुलिया बह गए।


 


कई गांवों का सड़क संपर्क ही खत्म हो गए। आवागमन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। नुकसान का जायजा लेने के लिए हमने तीन दल बनाकर मंदसौर, आगर मालवा, रायसेन, राजगढ़ और विदिशा जिले के प्रभावित गांवों का दौरा किया। दल ने बताया कि वो नुकसान के आकलन की प्रारंभिक रिपोर्ट एक सप्ताह में तैयार कर लेगा। राज्य सरकार की ओर से मिलने वाले मेमोरेंडम के बाद अंतिम रिपोर्ट तैयार की जाएगी।


मुख्यमंत्री ने अध्ययन दल से कहा कि हमारा मांग पत्र वास्तविकता पर आधारित होगा। बारिश के बाद की कार्रवाई को भी नुकसान में ही शामिल किया जाना चाहिए। स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुत काम करना होगा। इसके लिए अलग से राशि दी जानी चाहिए। बैठक के बाद दल ने प्रमुख सचिव राजस्व मनीष रस्तोगी और उनकी टीम के साथ बैठक करके मैदानी आकलन का अनुभव साझा किया।


 


इस दौरान अधिकारियों ने बताया कि प्रारंभिक आकलन के हिसाब से 11 हजार 600 करोड़ रुपए से ज्यादा के फसल, भवन, सड़क, पुल-पुलिया सहित अन्य चीजों का नुकसान पहुंचा है। 22 लाख किसानों की 25 लाख हेक्टेयर की लगभग नौ हजार 600 करोड़ रुपए मूल्य की फसल प्रभावित हुई है। किसानों को रबी फसल की तैयारी के लिए मदद की दरकार है।


ऐसे में किसान खरीफ फसलों के लिए सहकारी समितियों से लिए अल्पावधि ऋ ण को नहीं चुका पाएंगे, इसलिए इस कर्ज का मध्यावधि में तब्दील किया जाना चाहिए। केंद्रीय अध्ययन दल ने राज्य के प्रति सकारात्मक नजरिया रखने की बात कही। इस दौरान केंद्रीय अध्ययन दल के केएम सिंह, मनोज पोनीकर, डॉ. एके तिवारी, अमरनाथ सिंह और सुमित गोयल मौजूद थे।











Thursday 12 September 2019

मथुरा में बोले पीएम मोदी, ‘गाय’ का नाम सुनकर कुछ लोगों के खड़े हो जाते हैं बाल, 'ओम' सुनकर लगता है करंट

विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री के इस बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि मोदी को इस बात के लिए चिंतित होना चाहिए कि गाय के नाम पर लोगों की हत्या हो रही है.


खास बातें



  • मथुरा में रैली के दौरान पीएम मोदी ने कही ये बात

  • विपक्ष ने बयान के लिए साधा निशाना

  • राष्ट्रीय पशु रोग उन्मूलन कार्यक्रम की पीएम ने की शुरुआत




मथुरा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने 'ओम' और 'गाय' शब्दों का उल्लेख करने का विरोध करने वालों पर बुधवार को तीखा प्रहार करते हुए कहा कि ऐसे लोग ही देश को बर्बाद करने पर तुले हुए हैं.  इस बीच, कई विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री के इस बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि मोदी को इस बात के लिए चिंतित होना चाहिए कि गाय के नाम पर लोगों की हत्या हो रही है और संविधान का घोर उल्लंघन हो रहा है. कान्‍हा की नगरी मथुरा में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि 'ओम' शब्‍द सुनते ही कुछ लोगों के कान खड़े हो जाते हैं. कुछ लोगों के कान में 'गाय' शब्‍द पड़ता है तो उनके ''बाल खड़े हो जाते हैं, उनको करंट लग जाता है. उनको लगता है कि देश 16वीं-17वीं सदी में चला गया है.''उन्होंने कहा कि ऐसे लोग ही देश को बर्बाद करने पर तुले हुए हैं.

प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने मथुरा में राष्ट्रीय पशु रोग उन्मूलन कार्यक्रम की शुरुआत की. उन्होंने कहा, ''...भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पशुधन बहुत मूल्यवान है . कोई कल्पना करे कि पशुधन के बिना अर्थव्यवस्था चल सकती है क्या ? गांव चल सकता है क्या ? गांव का परिवार चल सकता है क्या ? लेकिन पता नहीं 'ओम' शब्द सुनते ही करंट लग जाता है कुछ लोगों को.''


भारत में 'ट्विटर किंग' बने PM मोदी, ट्रंप-ओबामा के बाद दुनिया के तीसरे सबसे ज़्यादा फॉलोअर्स वाले राजनेता

अफ्रीका के रवांडा का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वह वहां गए थे और वहां गांवों में लोगों को गाय भेंट में दी जाती है. गांव में गाय, पशुपालन और दुग्ध उत्पादन अर्थव्यवस्था का आधार बने हैं. भेंट की गयी गाय की पहली बछिया को सरकार लेती है और उन लोगों को सौंपती हैं जिनके पास गाय नहीं है. इस तरह पूरी श्रृंखला चलती रहती है और गाय लोगों की आय का एक हिस्सा बनती है.''


मोदी की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाकपा के महासचिव डी. राजा ने कहा कि प्रधानमंत्री 'ओम' और 'गाय' के मुद्दे क्यों उठा रहे हैं जबकि उन्हें देश की अर्थव्यवस्था की बात करनी चाहिए. उन्होंने 'पीटीआई- भाषा' से कहा, ''वह ऐसे समय में यह बात कह रहे हैं जब गाय और भगवान के नाम पर देशभर में पीट-पीट कर हत्या की घटनाएं हो रही हैं. उन्हें देश के प्रधानमंत्री की तरह व्यवहार करना चाहिए , वास्तविक मुद्दों पर बात करनी चाहिए और बेरोजगारी की समस्या का समाधान करना चाहिए, न कि विपक्ष पर हमला करना चाहिए.''


PM मोदी के 'गाय' और 'ओम' वाले भाषण पर ओवैसी का आया Reaction




प्रधानमंत्री की टिप्पणी के बारे में ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहाद उल मुसलमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने टीवी चैनलों से कहा कि भारत में लोग न केवल 'ओम' और 'गाय' सुनते हैं, बल्कि मस्जिदों की अजान, गुरुद्वारों में होने वाले पाठ और गिरजाघरों की घंटी की आवाज भी सुनते हैं. उन्होंने कहा, ''लोग जब गाय के नाम पर मारे जा रहे हैं तो आपको चिंतित होना चाहिए. प्रधानमंत्री को चिंतित होना चाहिए कि संविधान का घोर उल्लंघन हो रहा है. हम अपने प्रधानमंत्री से उम्मीद करते हैं कि जब तबरेज, पहलू खान या अखलाक मारे जा रहे हैं तो उन्हें यह सोचकर चिंतित होना चाहिए कि 'मेरे देश में क्या चल रहा है.''



PMO की चिट्ठी सोशल मीडिया पर जारी करने के बाद अधिकारी को किया गया निलंबित


राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सांसद माजिद मेमन ने कहा कि मोदी एक धर्मनिरपेक्ष देश के प्रधानमंत्री हैं और उन्हें अक्सर धार्मिक मामलों का जिक्र नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा, ''वह धर्मगुरु नहीं हैं... प्रधानमंत्री को स्पष्ट कर देना चाहिए कि 'मैं सरकार के मुखिया के तौर पर किसी को भी धर्म के नाम पर, 'ओम' या 'गाय' के नाम पर किसी को बर्दाश्त नहीं करूंगा, उन्हें अपने हाथ में कानून नहीं लेने दूंगा.''





सोनिया गांधी की अध्यक्षता में चल रही कांग्रेस की अहम बैठक में आखिर क्यों नहीं गए राहुल गांधी

लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद अध्यक्ष पद से राहुल गांधी ने इस्तीफा दे दिया था. उनके इस फैसले के बाद पार्टी के कई नेताओं ने उन्हें मनाने की कोशिश की लेकिन वह इस पर अडिग रहे. इस्तीफे के साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि गांधी परिवार का कोई सदस्य अध्यक्ष नहीं बनेगा.  इसके बाद कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई जिसमें एक बार फिर उन्हें फैसले पर विचार करने के लिए कहा गया लेकिन उन्होंने  साफ मना कर दिया. 



खास बातें



  • कांग्रेस अहम बैठक जारी

  • राहुल गांधी के पास बैठक में जाने की पात्रता नहीं

  • सिर्फ सांसद और CWC के मेंबर हैं




नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी  की अगुवाई में पार्टी महासचिवों, प्रदेश अध्यक्षों, पार्टी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों एवं कई अन्य वरिष्ठ नेताओं की बैठक जारी है. लेकिन इस महत्वपूर्ण बैठक में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी मौजूद नहीं है. बताया जा रहा है कि राहुल गांधी इस बैठक में आने की पात्रता नहीं रखते हैं क्योंकि वह सिर्फ सांसद और कांग्रेस कार्यसमिति की सदस्य मात्र हैं. आपको बता दें कि बैठक में मौजूदा अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हो रही है जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, पार्टी के वरिष्ठ नेता एके एंटनी, अहमद पटेल, गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खड़गे, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तथा पार्टी के कई महासचिव-प्रदेश प्रभारी, प्रदेश अध्यक्ष और विधायक दल के नेता शामिल हैं. इसमें मनमोहन सिंह और एके एंटनी विशेष आमंत्रित हैं. दूसरी ओर राहुल गांधी का कुछ देर पहले ही एक ट्वीट आया है जिसमें उन्होंने  एक अंग्रेजी दैनिक में छपे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साक्षात्कार का हवाला देते हुए गांधी ने यह भी कहा कि पहले सरकार को स्वीकार करना चाहिए कि अर्थव्यवस्था को लेकर समस्या है. उन्होंने ट्वीट कर कहा, ''इस समय दुष्प्रचार, मनगढ़ंत खबरों और युवाओं के बारे में मूर्खतापूर्ण बातें करने की जरूरत नहीं है, बल्कि भारत को एक ठोस नीति की जरूरत है ताकि अर्थव्यवस्था की स्थिति को ठीक किया जा सके.'' गांधी ने कहा, ''पहले स्वीकार करिये कि हमारे सामने समस्या है. यह स्वीकार करना ही अच्छी शुरुआत होगी.'' उन्होंने मनमोहन सिंह के जिस साक्षात्कार का हवाला दिया उसमें पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा है कि नोटबंदी और गलत ढंग से जीएसटी लागू करने के कारण अर्थव्यवस्था की स्थिति खराब हुई है. 

 


संकट से जूझ रही कांग्रेस के लिए क्या सोनिया गांधी आज कोई निकाल पाएंगी रास्ता?


गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद अध्यक्ष पद से राहुल गांधी ने इस्तीफा दे दिया था. उनके इस फैसले के बाद पार्टी के कई नेताओं ने उन्हें मनाने की कोशिश की लेकिन वह इस पर अडिग रहे. इस्तीफे के साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि गांधी परिवार का कोई सदस्य अध्यक्ष नहीं बनेगा.  इसके बाद कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई जिसमें एक बार फिर उन्हें फैसले पर विचार करने के लिए कहा गया लेकिन उन्होंने  साफ मना कर दिया. 

एक दिन पहले कांग्रेस छोड़ने वाले महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री हर्षवर्धन पाटिल BJP में शामिल



बाद में कोई और रास्ता न देख कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में सर्वसम्मति से सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष चुना गया. लेकिन अभी पार्टी का संकट का दूर नहीं हुआ है. एक ओर जहां राष्ट्रीय स्तर पर मतभेद उभर रहे हैं तो दूसरी ओर राज्यों के संगठन में भी सिर फुटौवल वाले हालात हैं.





ट्रैफिक के नए कानून पर बोले नितिन गडकरी- क्या राज्यों के लिए 'जान से ज्यादा जुर्माना' महत्वपूर्ण है?





 


खास बातें



  • नए ट्रैफिक नियम पर नितिन गडकरी से खास बातचीत

  • गडकरी बोले- राज्य जुर्माना घटाना चाहते हैं तो घटा दें

  • कहा- जान बचाने के लिए लाया गया है यह नियम




नई दिल्ली: मोटर व्हीकल संशोधन अधिनियम (Motor vehicle Act) पास होने के बाद यातायात नियमों का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है. ट्रैफिक नियमों (Traffic Rules) को तोड़ने वालों पर नए अधिनियम के मुताबिक तगड़ा जुर्माना भी लगाया जा रहा है. इसे लेकर NDTV ने परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से खास बातचीत की. NDTV से बात करते हुए नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने कहा कि जो राज्य नए मोटर व्हीकल ऐक्ट (Motor Vehicle Act) के जुर्माने कम करना चाहते हैं वो घटा लें. हमारा मकसद हादसे कम करने का है. हमारा मकसद हादसे कम करने का है.

 


केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी बोले, राज्य चाहें तो जुर्माना घटा दें, लेकिन क्या ये सच्चाई नहीं है...


उन्होंने कहा कि जो राज्य इस नए कानून को लागू करने से इनकार कर रहे हैं उनके लिए 'जिंदगी से ज्यादा क्या पैसा महत्वपूर्ण है.' नितिन गडकरी ने कहा, 'मैंने जीवन की रक्षा करने का संकल्प लिया था और यह (नया कानून), जान बचाने के लिए किया गया है. यह मेरा पहला उद्देश्य है, लेकिन मुझे राज्य सरकारों के सहयोग की जरूरत है. यह पार्टियों और राज्य सरकारों के ऊपर होना चाहिए.

नितिन गडकरी ने कहा- कड़े नियमों का लक्ष्य है सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाना


नितिन गडकरी ने राज्यों से यातायात नियमों के उल्लंघन पर जुर्माने में ढील देने की भी अपील की है. नितिन गडकरी ने कहा, 'यह कोई राजस्व इकट्ठा करने की योजना नहीं है.. क्या आपको डेढ़ लाख लोगों की मौत की चिंता नहीं है?' उन्होंने कहा, 'अगर राज्य सरकारें जुर्माने की रकम को घटाना चाहती हैं तो ठीक है, लेकिन क्या यह सच्चाई नहीं है कि लोग न तो कानून को मानते हैं और न ही इससे डरते हैं.'


...जब ट्रैफिक नियम तोड़ने पर परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को भी भरना पड़ा जुर्माना, जानें पूरा मामला




आपको बता दें कि गुजरात सरकार ने 'मानवता के आधार पर' यातायात नियमों के उल्लंघन पर लगाए जाने वाले जुर्माने में 90 फीसद तक की कटौती करने का निर्णय लिया है. हालांकि राज्य सरकार के इस फैसले ने बीजेपी के लिए असहज स्थिति पैदा कर दी है, क्योंकि बीजेपी जुर्माने में बढ़ोतरी की पक्षधर रही है. हालांकि अब खुद बीजेपी शासित राज्य के ही एक मुख्यमंत्री ने जुर्माने में कटौती का फैसला किया है. सूत्रों का कहना है कि इस मामले में पार्टी नेतृत्व गुजरात के सीएम विजय रूपाणी से जवाब तलब कर सकती है.



जुर्माने की रकम कई गुना बढ़ी
बता दें कि मोटर व्हीकल एक्ट (Motor vehicle act) में हुए बदलाव सुर्खियां बटोर रहे हैं. यह पूरे देश में एक सितंबर से लागू हो गया है. हालांकि कुछ राज्यों ने इन्हें लागू नहीं करने का फैसला किया है. ऐसे कई अपराध हैं जिनके लिए जुर्माने की रकम बढ़ा दी गई है. बिना लाइसेंस के गाड़ी चलाने पर पहले पांच सौ रुपये तक जुर्माना था. यह अब 5000 रुपये होगा. ओवरस्पीडिंग के लिए पहले चार सौ रुपये तक जुर्माना था, अब यह हल्के वाहनों के लिए एक से दो हजार रुपये होगा जबकि मध्यम और भारी वाहनों के लिए दो हजार से चार हजार रुपये. खतरनाक ड्राइविंग में पहली बार पकड़े जाने पर छह महीने तक की सजा और एक हजार तक का जुर्माना होता था. इसे अब बढ़ाकर छह महीने से एक साल तक की सजा और एक हजार से पांच हजार रुपये तक का जुर्माना कर दिया गया है.







Mars 2020: NASA दे रहा है मंगल पर जाने का बोर्डिंग पास, आपने लिया क्‍या?

NASA's Mars 2020: नासा लोगों के नाम मंगल पर भेजेगा. नासा ने इच्छुक लोगों से अपने नाम भेजने को कहा है. अंतरिक्ष में रुचि रखने वाले लाखों लोगों ने नासा को अपने नाम भेजे हैं.




खास बातें



  • नासा ने मार्स '2020 रोवर' के लिए इच्छुक लोगों से नाम मंगाए हैं

  • रजिस्ट करने वालों को बोर्डिंग पास दिए जा रहे हैं.

  • रोवर को जुलाई 2020 तक प्रक्षेपित किया जाएगा.



नई दिल्ली: NASA's Mars 2020: अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) अगले साल मंगल ग्रह पर अपना रोवर भेजेगी. इस मिशन पर सिर्फ रोबोट ही भेजा जाएगा, लेकिन नासा लोगों के नाम एक चिप से मंगल पर भेजेगी. इसके लिए नासा ने इच्छुक लोगों से अपने नाम भेजने को कहा है. अंतरिक्ष में रुचि रखने वाले लाखों लोगों ने नासा को अपने नाम भेजे हैं. अब तक NASA को 9 मिलियन यानी 90 लाख से ज्यादा नाम मिल चुके हैं. जिन लोगों ने अपने नाम भेजे हैं उन्हें आनलाइन बोर्डिंग पास दिए जा रहे हैं. नामों को एक सिलिकॉन वेफर माइक्रोचिप पर एक इलेक्ट्रॉनिक बीम की मदद से उकेरा जाएगा. इस चिप को रोवर लेकर जाएगा और यह चिप हमेशा के लिए मंगल (Mars) पर रहेगी. नासा का मंगल मिशन जुलाई 2020 में लॉन्च किया जाएगा और ये फरवरी 2021 में लैंड करेगा. जो लोग मंगल पर अपना नाम भेजना चाहते हैं उनके पास बुकिंग करने के लिए 20 दिन का समय रह गया है. 


रोवर की तस्वीर



नासा ने ट्वीट कर कहा, ''2021 में जब हमारा #Mars2020 रोवर लाल ग्रह पर उतरेगा, उसके पास एक माइक्रोचिप होगी जिसमें धर्ती के लाखों लोगों के नाम होंगे. क्या आपका नाम उस पर है? आपके पास 20 दिन बचे है अपना बोर्डिंग पास पाने और रोवर से अपना नाम भेजने के लिए. अभी बुक करें.


इस पेज पर भरनी होगी डिटेल


- सबसे पहले आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें.
- अब एक पेज खुलेगा, यहां अपना नाम, देश, पोस्टल कोड और ईमेल सबमिट करें.
- अब आपका बोर्डिंग पास जनरेट हो जाएगा.
- आप इसे डाउनलोड कर सकते हैं.
- आप इसका प्रिंट ले सकते हैं.


Mars पर भेजा जाएगा ये रोवर




ये है नासा के मंगल मिशन का उद्देश्य


नासा 2020 में मंगल पर अपना रोवर भेजेगा. रोवर का मिशन कई सवालों के जवाब खोजना है. जैसे- मंगल ग्रह पर जीवन की कितनी संभावनाएं हैं? या क्या मंगल पर कभी जीवन था? नासा का रोवर मंगल पर खुदाई करके वहां की मिट्टी के सैंपल भी इकट्ठा करेगा. रोवर ये सैंपर वहीं छोड़ देगा और भविष्य में जाने वाला एयरक्राफ्ट इस सैंपल को धरती पर लेकर आएगा.