Monday, 25 November 2019

छिंदवाडा जिले की बेटी कुमारी विनीता नेटी बनी अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी

छिंदवाडा जिले की बेटी कुमारी विनीता नेटी बनी अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी


स्वीप आइकॉन बन मतदान प्रतिशत बढ़ाने में निभाई सक्रिय भूमिका


छिंदवाडा जिले की बेटी कुमारी विनीता नेटी फुटबॉल की अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी है, जो अब युवाओं की प्रेरणा स्रोत बन गई है। विनीता पिछले 8 सालों से फुटबॉल खेल रही है। साउथ अमेरिका के चिली में हुए अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉल मैच में विनीता को “फेयर प्लेयर अवॉर्ड”, से सम्मानित किया गया। इसके अलावा विनीता को मुंबई में आयोजित राष्ट्रीय मैच में “बेस्ट प्लेयर अवॉर्ड”,  इंटर यूनिवसिर्टी वेस्ट जोन फुटबॉल टूर्नामेण्ट पुणे में “बेस्ट मिडफील्डर अवॉर्ड”, स्कूल राज्य स्तरीय प्रतियोगिता नीमच में “बेस्ट प्लेयर अवॉर्ड” और स्कूल राज्य स्तरीय प्रतियोगिता छिंदवाडा में “बेस्ट डिफेन्सर अवॉर्ड” के अलावा अन्य अवार्ड मिल चुके हैं।


विनीता को आदिवासी महा-सम्मेलन के सम्मान समारोह में, डिस्ट्रिक्ट ओलम्पिक एसोसिऐशन छिंदवाडा, वर्ष 2011 में लाल बहादुर शास्त्री सम्मान तथा वर्ष 2017 के वीरमाता जीजाबाई सम्मान समारोह में सम्मानित किया गया है। आज भी विनीता मध्यप्रदेश टीम की प्रतिनिधि बनकर खेल रही हैं। उन्होंने मध्यप्रदेश का 8-9 बार राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व किया है।


      विनीता की उपलब्धियों के कारण उसे विधानसभा चुनाव 2018, लोकसभा चुनाव 2019 और विधानसभा उप चुनाव छिंदवाड़ा 2019 के दौरान जिला स्वीप आईकॉन बनाया गया। जिले के युवाओं को मताधिकार के प्रति जागरूक करने और उन्हें अपने मत का प्रयोग अनिवार्य रूप से करने की प्रेरणा देने के लिये विनीता ने जिले के गांव-गांव और शहर-शहर जाकर लोगों को जागरूक किया। परिणाम यह हुआ कि छिंदवाड़ा जिले का मतदान प्रतिशत प्रदेश में सर्वाधिक रहा,


विनीता अभी शासकीय राजमाता सिंधिया कन्या महाविद्यालय, छिन्दवाड़ा में स्नातक की पढ़ाई कर रही है। वह चाहती है कि जिले की खेल प्रतिभाएं न केवल छिन्दवाड़ा जिले, बल्कि मध्यप्रदेश और राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना नाम रोशन करें। इसके लिये विनीता खेल प्रतिभाओं को हर समय अपना मार्गदर्शन, सहयोग और समय देने को तैयार रहती है।


विकास कार्यो के लिए 61 नगरीय निकायों को 38 करोड़ आवंटित

नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा 61 नगरीय निकायों को विभिन्न विकास कार्यों के लिए 38 करोड़ रूपये आवंटित किए गए हैं। आयुक्त नगरीय प्रशासन एवं विकास श्री पी. नरहरि ने निर्देश दिये हैं कि यह राशि जिस कार्य के लिए आवंटित हुई है, उसी में खर्च की जाए।


नगरपालिक निगम ग्वालियर को अधोसंरचना विकास एवं नलकूप खनन के लिए 2 करोड़ 50 लाख, नगर पालिका सांरगपुर को बस स्टैण्ड निर्माण एवं विकास कार्यों के लिए 75 लाख, बैतूल को रोड़ एवं नाली निर्माण के लिए 75 लाख, सिहोरा को आदिवासी सामुदायिक भवन खितौला के लिए 50 लाख, वारासिवनी को जेसीबी खरीदने और अन्य विकास कार्यों के लिए 75 लाख, नगर परिषद तराना को नवीन कार्यालय भवन, फोरलेन मार्ग में विद्युतीकरण एवं नाली निर्माण, आलोट को स्वीमिंग पुल निर्माण, उद्यान विकास, नरवर को सड़क, बरेली को सड़क, सोयतकला को सी.सी.रोड़ और निबाड़ी को पंचकोषी परिक्रमा मार्ग के लिए 50-50 लाख रूपये आवंटित किये गए हैं।


इसी तरह, नगर पालिका खाचरौद और अलिराजपुर को 50-50 लाख, रेहली, छतरपुर, करेली, नागदा, सनावद, सबलगढ़, विदिशा, चंदेरी, बड़वानी, आष्टा, कोतमा, आगर, अम्बाह और गोटेगाँव को 75-75 लाख, झाबुआ और धार को एक-एक करोड़ रूपये विभिन्न विकास एवं आधोसंरचना विकास कार्यो के लिये स्वीकृत किये गये हैं।


नगर परिषद सैलाना, नलखेड़ा, पृथ्वीपुर, बिजावर, खुजनेर, राघौगढ़, सीतामऊ, शामगढ़, शाहपुरा, चित्रकूट, नागौद, पथरिया, राणापुर, महू, माचलपुर, छापीहेड़ा, कुक्षी, धरमपुरी, भीकनगाँव, पोलायकला, कालापीपल माकडोन, डीकेन, पिपलरवां, अठाना, बिछिया, लटेरी, पेटलावद और नगरपरिषद अकोड़ा को 50-50 लाख रूपये विभिन्न विकास कार्यो के लिये आवंटित किये गये हैं।


मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ द्वारा राष्ट्रीय खेलकूद प्रतियोगिता के प्रतीक चिह्न एवं शुभांकर का अनावरण


मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों की राष्ट्रीय खेलकूद प्रतियोगिता के प्रतीक चिह्न (लोगो) एवं शुभांकर (मेस्कॉट) का आज मंत्रालय में अनावरण किया। प्रतियोगिता 9 से 13 दिसम्बर तक भोपाल में आयोजित होगी। प्रतियोगिता में 16 खेल विधाओं में 23 राज्यों के लगभग पाँच हजार खिलाड़ी एवं सहयोगी अधिकारी भाग लेंगे। मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने खेल प्रतियोगिता के सफल आयोजन और इसमें भाग ले रहे प्रतिभागियों को शुभकामनाएँ दीं।


मुख्यमंत्री द्वारा एकलव्य राष्ट्रीय खेलकूद प्रतियोगिता के लिए जारी प्रतीक चिह्न महाभारत के पात्र एकलव्य की प्रतिकृति पर आधारित है। चित्र में एकलव्य, शक्ति, समर्पण, निष्ठा एवं निडरता को प्रदर्शित करता है। इसके आस-पास हरे रंग का गोल आवरण प्रकृति और पृथ्वी को इंगित करता है। यह प्रकृति को संरक्षित करने की भी प्रेरणा देता है। प्रतीक चिह्न में अंकित पीला रंग खुशी, सकारात्मकता और ऊर्जा का प्रतीक है।


एकलव्य राष्ट्रीय खेलकूद प्रतियोगिता के लिए मुख्यमंत्री द्वारा जारी शुभांकर 'बाघ मुन्ना' है। बाघ न केवल राष्ट्रीय पशु है बल्कि मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का भी दर्जा प्राप्त है। बाघ गर्व, ताकत, निडरता एवं नेतृत्व क्षमता का प्रतीक है। राष्ट्रीय खेलकूद प्रतियोगिता के लिए बनाए गए प्रतीक चिह्न और शुभांकर प्रतिभागियों के लिये प्रेरणास्त्रोत होंगे।


मुख्यमंत्री को राष्ट्रीय खेलकूद प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को दिए जाने वाला स्टोल भेंट किया गया। यह स्टोल चंदेरी के बुनकरों द्वारा विशेष रूप से तैयार किया गया है। इस अवसर पर मुख्य सचिव श्री एस.आर. मोहन्ती, प्रमुख सचिव आदिम जाति कल्याण श्रीमती दीपाली रस्तोगी एवं विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।


Friday, 22 November 2019

कितना महंगा होने जा रहा है मोबाइल इंटरनेट और क्यो

भारत ऐसा देश है जहां पर मोबाइल डेटा की दरें दुनिया में सबसे कम हैं. यहां पर चीन, जापान और दक्षिण कोरिया से भी सस्ता मोबाइल डेटा मिलता है.



लेकिन आने वाले समय में भारतीय ग्राहकों को इसी डेटा के लिए ज़्यादा रकम चुकानी पड़ सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि दो प्रमुख टेलिकॉम कंपनियों ने जल्द ही मोबाइल डेटा का दाम बढ़ाने की घोषणा की है.


भारतीय बाज़ार में एयरटेल और वोडाफ़ोन-आइडिया की राजस्व के मामले में आधे से ज़्यादा हिस्सेदारी है. ये दोनों ही कंपनियां जल्द ही मोबाइट डेटा को महंगा करने वाली हैं.


हाल ही में दोनों कंपनियों ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 10 अरब डॉलर का घाटा दिखाया है. ऊपर से सुप्रीम कोर्ट ने एक पुराने मामले को निपटाते हुए हाल ही में आदेश दिया है कि सभी टेलिकॉम कंपनियों को 90,000 करोड़ रुपए की रकम सरकार को देनी होगी.


इसी के बाद वोडाफ़ोन ने हाल ही में बयान जारी किया है, "मोबाइल डेटा आधारित सेवाओं की तेज़ी से बढ़ती मांग के बावजूद भारत में मोबाइल डेटा के दाम दुनिया में सबसे कम हैं. वोडाफ़ोन आइडिया 1 दिसंबर 2019 से अपने टैरिफ़ की दरें उपयुक्त ढंग से बढ़ाएगा ताकि इसके ग्राहक विश्वस्तरीय डिजिटल अनुभव लेते रहें."


 

एयरटेल की ओर से भी इसी तरह का बयान जारी किया गया है. नई दरें क्या होंगी, इस बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं मिल पाई है. जियो ने भी अभी तक ऐसी कोई घोषणा नहीं की है.



क्यों बढ़ेंगे दामकंपनियां क्यों डेटा का दाम बढ़ा रही हैं, किस हद तक यह क़ीमत बढ़ेगी और आम आदमी पर इसका कितना फ़र्क पड़ेगा? इन्हीं सवालों के जवाब के लिए बीबीसी संवाददाता आदर्श राठौर ने बात की टेलिकॉम और कॉरपोरेट मामलों के विशेषज्ञ आशुतोष सिन्हा से. आगे पढ़ें, क्या है उनकी राय:


पहले टेलिकॉम सेक्टर में कई कंपनियां थीं और उनमें प्रतियोगिता के कारण डेटा की क़ीमतें गिरी थीं. ये क़ीमतें इसलिए भी गिरी थीं क्योंकि दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में भारत में ग्राहकों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही थी.


भारत में 22 टेलिकॉम सर्कल हैं और उनमें तीन कैटिगरीज़ हैं- A, B और C. इनमें C कैटिगरी के सर्कल्स (जैसे कि ओडिशा) में जियो, एयरटेल व दूसरी कंपनियां नए ग्राहक बनाना चाहती थीं. ऐसा इसलिए, क्योंकि यहां के ग्राहक हर महीने डेटा पर बेशक कम रकम ख़र्च करते हैं लेकिन इनकी संख्या इतनी है कि आपकी कुल कमाई अच्छी हो जाती है.


इसी कारण वे कुछ समय के लिए नुक़सान सहकर भी ग्राहकों को आकर्षित करना चाह रही थी. वह दौर अब ख़त्म हो गया है. साथ ही कंपनियां भी कम बची हैं, इसलिए स्वाभाविक है कि डेटा की क़ीमत बढ़ेगी.


कितनी बढ़ोतरी होगी


एकदम बहुत बढ़ोतरी बड़ी नहीं होगी क्योंकि कंपनियां एकदम से 15-20 प्रतिशत दाम नहीं बढ़ा सकतीं. इसलिए हर कंपनी अपने हिसाब से योजना बनाएगी कि और देखेगी कि किस सेगमेंट से कितना राजस्व बढ़ना है.


दरअसल कंपनियां 'एवरेज रेवेन्यू पर यूज़र' यानी प्रति व्यक्ति होने वाली कमाई को देखती है. अभी भारत में यह हर महीने लगभग 150 रुपए से कुछ कम है. आम भाषा में ऐसे समझें कि एक आम व्यक्ति हर महीने 150 रुपए ख़र्च कर रहा है.


तो कंपनियां ऐसी योजना ला सकती है कि अभी आप महीने में 100 रुपए का प्लान ले रहे हैं तो 120 रुपए का प्लान लीजिए, हम आपको 100 रुपए वाले प्लान से दोगुना डेटा देंगे.


इससे कंपनियां की 20 फ़ीसदी कमाई तो बढ़ जाएगी लेकिन उनका डेटा का ख़र्च उतना नहीं बढ़ेगी कि परेशानी होने लगे.


फिर भी, कंपनियां को अगर राजस्व बढ़ाना है तो ऐसा तभी हो सकता है जब वे मोटा ख़र्च करने वाले ग्राहकों से और पैसा ख़र्च करवाएंगी.ए


एजीआरपर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला


वोडाफ़ोन-आइडिया और एयरटेल के घाटा दिखाने के साथ-साथ हाल ही में लाइसेंस फ़ीस से जुड़े विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आया है.


मामला है एजीआर यानी अडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू का. यह 15 साल पुराना केस है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट का अभी फ़ैसला आया है.


जब मोबाइल सर्विस शुरू हुई थी, तो ऑपरेटरों से सरकार फ़िक्स्ड लाइसेंस फ़ीस लेती थी. यानी आपके 100 ग्राहक हों या लाखों, आपको इसके एवज में निश्चित रकम देनी है.


लेकिनअगस्त 1999 में नई पॉलिसी आई जिसके मुताबिक़ ऑपरेटरों को सरकार के साथ रेवेन्यू शेयर करना होगा. यानी आपको 100 रुपए की कमाई में से भी निश्चित प्रतिशत सरकार को देना होगा और हज़ारों-करोड़ की कमाई में से भी.


इससे सरकार की कमाई भी बढ़ गई क्योंकि टेलिकॉम कंपनियां भी बढ़ गईं और उनके ग्राहक बढ़ने से सरकार को भी फ़ायदा हुआ. लेकिन एजीआर का झगड़ा ये है कि इसमें किस-किस चीज़ को शामिल किया जाए.


अब यह टेलिकॉम कंपनियों की क़िस्मत ख़राब है कि इसी दौर में सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला उनके ख़िलाफ़ आया है और उन्हें भारी-भरकम लंबित रक़म सरकार को चुकानी होगी.


अब इसका समाधान यह हो सकता है कि सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को सरकार ही नया क़ानून लाकर बदलकर कंपनियों को राहत दे या फिर डिपार्टमेंट ऑफ़ टेलिकॉम कहे कि हम आपके यह रक़म एकमुश्त नहीं लेंगे, आप धीरे-धीरे एक निश्चित अवधि में दे दीजिए.


दाम बढ़ाने से डर क्यों नहीं


प्रश्न यह उठता है कि जब कोई कंपनी डेटा को महंगा करेगी तो क्या उसके ग्राहक अन्य कंपनियों के पास नहीं चले जाएंगे?


मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (एमएनपी) अधिक सफल नहीं हुआ है. फिर बात आती है विकल्पों की. बीएसएनएल को भी मिला दिया जाए तो भारत में चार ही टेलिकॉम ऑपरेटर हैं. यानी ग्राहकों के पास बहुत विकल्प नहीं हैं.


अगर आज की तुलना 2008-10 से करें तो तब देश में 13 टेलिकॉम ऑपरेटर थे. अब स्थिति उल्टी हो गई है. पहले प्राइसिंग पावर यानी मूल्य तय करने की ताक़त कंपनियों के पास नहीं थी.


उस समय ग्राहकों के पास विकल्प बहुत थे. इसीलिए प्रतियोगिता के कारण कंपनियां मूल्य बढ़ाने से पहले सोचती थीं. लेकिन अब कम ऑपरेटर रह जाने के कारण प्राइसिंग पावर कंपनियों के पास आ गई है.



मध्यप्रदेश अधोसंरचना एवं कृषि विकास के लिए पुरस्कृत

मध्यप्रदेश अधोसंरचना एवं कृषि विकास के लिए पुरस्कृत


केन्द्रीय मंत्री श्री जावड़ेकर ने मंत्री श्री जयवर्द्धन सिंह को सौंपा अवार्ड 



केन्द्र सरकार ने मध्यप्रदेश को अधोसंरचना और कृषि विकास के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति के लिए सर्वश्रेष्ठ राज्यों की श्रेणी में पुरस्कृत किया है। मध्यप्रदेश सरकार की ओर से प्रदेश के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री जयवर्द्धन सिंह ने केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण श्री प्रकाश जावड़ेकर से यह पुरस्कार प्राप्त किया। 


मंत्री श्री जयवर्द्धन सिंह ने मध्यप्रदेश की विकास यात्रा की जानकारी देते हुए बताया कि कड़ी मेहनत, प्रेरणा और नई सोच ही विकास का मूल मंत्र है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ की सोच, अनुभव और प्रशासनिक क्षमता के कारण ही अब मध्यप्रदेश प्रगति की राह पर अग्रसर हुआ है। 


छिंदवाड़ा जिले के विकास मॉडल का जिक्र करते हुए श्री जयवर्द्धन सिंह ने कहा कि छिंदवाड़ा जिला प्रदेश में ही नहीं, पूरे देश में विकास का सूचक बन गया है। नगरीय विकास के क्षेत्र में किये गये कार्यों और नवाचारों का जिक्र करते उन्होंने बताया कि प्रदेश में विद्युत वाहन नीति शुरू की गई है। इसके अंतर्गत शुरू में 400 प्रदूषण-मुक्त बसें पाँच शहरों में शुरू की जाएंगी। इसके साथ ही राज्य में रियल एस्टेट नीति बनाई गई है, जो प्रदेश के 378 शहरों में लागू की जाएगी।


मंत्री श्री जयवर्द्धन सिंह ने बताया कि स्वच्छता के क्षेत्र में इंदौर मॉडल का अनुसरण प्रदेश के अन्य जिलों में भी किया जाएगा। उन्होंने बताया कि हाल ही में मध्यप्रदेश को बेस्ट स्मार्ट स्टेट अवार्ड से पुरस्कृत किया गया है। उन्होंने मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ के विकास मॉडल की सोच को पूरे प्रदेश में शीघ्र मूर्तरूप देने का आश्वासन दिया। 


आराधना नगर लीज रिन्यूवल प्रकरण का 15 दिन में होगा निराकरण

जनसम्पर्क मंत्री श्री पी.सी. शर्मा ने कहा है कि राज्य आवास संघ की कालोनी आराधना नगर के लीज रिन्यूवल के प्रकरण का अगले पन्द्रह दिन में निराकरण करवा दिया जाएगा। श्री शर्मा ने आज कलेक्ट्रेट में आराधना नगर के रहवासियों और जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ चर्चा के बाद यह जानकारी दी।


आवास संघ की आराधना नगर कालोनी को नजूल से मिली जमीन की लीज वर्ष 2006 में समाप्त होने और अब तक लीज का रिन्यूवल नहीं होने से कालोनी के 297 रहवासी परेशान थे। मंत्री श्री शर्मा के आश्वासन से रहवासियों में प्रसनन्ता का संचार हुआ है।


दूसरे चरण में 12 लाख से अधिक किसानों का कर्ज होगा माफ

शिक्षित बेरोजगारों के लिये ''मुख्यमंत्री खाद्य प्र-संस्करण योजना'' का क्रियान्वयन
केन्द्र ने अब तक नहीं दिए अति-वृष्टि और बाढ़ के नुकसान की भरपाई के लिए 6621.28 करोड़
 


किसान-कल्याण और कृषि विकास मंत्री श्री सचिन यादव ने बताया है कि राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता अन्नदाता किसान की समृद्धि है। राज्य सरकार ने अपने वचन पत्र के अनुसार जय किसान फसल ऋण माफी योजना लागू कर किसानों को ऋणमुक्त करने का अभियान चलाया है। पहले चरण में 20 लाख 22 हजार 731 पात्र किसानों के 7154 करोड़ 36 लाख रूपये के ऋण माफ किये गये हैं। दूसरे चरण, जो शीघ्र प्रारंभ किया जा रहा है, में 12 लाख 2 हजार 78 ऋण खाताधारक किसानों के ऋण माफ किये जाएंगे।


मंत्री श्री सचिन यादव ने कहा कि राज्य सरकार किसानों को हर कदम पर सहयोग कर रही है। प्रदेश में 5 मार्च 2019 को ''जय किसान समृद्धि योजना'' लागू कर रबी सीजन 2019-20 के लिए कृषि उपज मंडी एवं ई-उर्पाजन केंद्र के माध्यम से किसान द्वारा विक्रय किये गये गेहूँ पर 160 रूपये प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि का प्रावधान किया गया है। योजना में 92 लाख 67 हजार मीट्रिक टन गेहूँ विक्रय करने वाले 11 लाख 79 हजार किसानों को 1463 करोड़ 42 लाख की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी।


मुख्यमंत्री खाद्य प्र-संस्करण योजना


मंत्री श्री सचिन यादव ने बताया है कि प्रदेश में इस वर्ष से मुख्यमंत्री खाद्य प्र-संस्करण योजना लागू की गई है। योजना में शिक्षित बेरोजगार युवाओं को एक से ढाई एकड़ भूमि प्रति हितग्राही 30 साल के लिए लीज पर उपलब्ध कराई जाएगी। योजना में फूलों की खेती के लिए 100-100 एकड़ के क्लस्टर तैयार किये जा रहे हैं। दो नवीन उद्यानिकी महाविद्यालय रेहली एवं छिंदवाड़ा में प्रारंभ किए गए हैं। इंडो-इजराईल प्रोजेक्ट में उद्यानिकी के तीन सेंटर आफ एक्सीलेंस स्थापित किये जा रहे हैं। इनमें साईट्रस छिंदवाड़ा, वेजीटेबल मुरैना तथा फ्लोरीकल्चर का सेंटर भोपाल में स्थापित हो रहा है।


कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिये ''शुद्ध के लिए युद्ध''


मंत्री श्री सचिन यादव ने कहा है कि राज्य सरकार ने कृषि के क्षेत्र में विरासत में मिली बदहाल स्थिति को समृद्धता की ओर ले जाने का निश्चय किया है। इसके लिए किसानों को हर कदम पर हर तरह की मदद मुहैया कराई जा रही है। गुणवत्तापूर्ण खाद, बीज और कीटनाशक की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश में ''शुद्ध के लिए युद्ध'' अभियान चलाया जा रहा है। इस दौरान न सिर्फ बीज, उर्वरक और कीटनाशक के मानक स्तर का परीक्षण किया जा रहा है बल्कि कम मात्रा में सामग्री विक्रय, अनाधिकृत विक्रय, कालाबाजारी, अधिक मूल्य पर विक्रय आदि पर भी गंभीरता से कार्यवाही की जा रही है।


अब तक 1313 उर्वरक विक्रेताओं/ गोदामों का निरीक्षण कर 1096 नमूने लिये गये हैं एवं 110 प्रकरणों में अनियमितता पर कार्यवाही की गई है। उर्वरक निर्माण इकाइयों का भी निरीक्षण किया जा रहा है। इसी प्रकार 1120 बीज विक्रेताओं/ गोदामों का निरीक्षण कर 1129 बीज नमूने संकलित किये गये और 51 प्रकरणों में कार्यवाही की गई। कुल 334 पौध संरक्षण दवा विक्रेताओं/ गोदामों का निरीक्षण किया गया और 66 प्रकरणों में कार्यवाही की गई है। 


मंडियों में नगद भुगतान की व्यवस्था


मंत्री श्री सचिन यादव ने बताया कि कृषि उपज मंडी समितियों में कृषकों को उनकी कृषि उपज के विक्रय पर दो लाख रूपये तक के नगद भुगतान की व्यवस्था की गई है। बैंकों से एक करोड़ रूपये से अधिक नगद आहरण पर टीडीएस कटौती के आयकर अधिनियम के प्रावधानों से मंडियों में नगद भुगतान में आ रही कठिनाइयों की ओर भारत सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए मंडी व्यापारियों को इस प्रावधान से मुक्त कराने की पहल की गई है।


-नाम योजना से जुड़ी कृषि उपज मंडियाँ


किसान-कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री ने जानकारी दी कि राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना के द्वितीय चरण में राज्य सरकार द्वारा 25 कृषि उपज मंडियों को ई-नाम योजना से जोड़ा गया है। मंडी बोर्ड द्वारा 16 अगस्त, 2019 से प्रदेश की सभी मंडियों में एक साथ ई-अनुज्ञा प्रणाली लागू कर 4 लाख 14 हजार से ज्यादा ई-अनुज्ञा जारी की गई हैं। इससे मण्डी व्यापारियों का समय बचा है। प्रदेश में 27 मण्डी प्रांगण में सोलर एनर्जी प्लांट भी स्थापित किये गये हैं। कृषकों को मण्डी प्रांगण में संतुष्टि अनुरूप मूल्य प्राप्त नहीं होने पर चार माह की निःशुल्क सुविधा और 80 प्रतिशत राशि तक कृषि उपज का भुगतान करने के लिये कोलेटेरल मैनेजमेंट एजेंसीस के चयन की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। 


सब्जी एवं मसाला क्षेत्र विस्तार योजना


मंत्री श्री यादव ने बताया कि प्रदेश में किसानों की विगत 15 वर्षों की मांग को स्वीकार करते हुए राज्य सरकार ने सब्जी एवं मसाला क्षेत्र विस्तार योजना लागू की है। इसमें अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसानों के लिए अनुदान का प्रतिशत 50 से बढ़ाकर 70 कर दिया गया है। योजना में अब किसानों को प्रति हेक्टर 70 हजार रूपये तक का अनुदान मिलेगा।


किसानों को सस्ती बिजली


वचन-पत्र के वचन के अनुसार दस हॉर्स पॉवर तक के कृषि पंप उपभोक्ताओं की विद्युत दरों को आधा कर दिया गया है। पूर्व मे निर्धारित 1400 रूपये प्रति हॉर्स पॉवर प्रतिवर्ष कृषि पंपों की विद्युत दर को अब 700 रूपये कर दिया गया है। इससे लगभग 20 लाख किसान लाभान्वित हो रहे हैं। इस योजना में प्रति कृषि उपभोक्ता लगभग 47 हजार रूपये प्रति वर्ष सब्सिडी दी जा रही है। राज्य सरकार ने अब तक 2622 करोड़ 53 लाख रूपये की सब्सिडी प्रदान की है। अक्टूबर 2019 से मार्च 2020 तक के लिए 20 लाख 10 हजार कृषि पंपों के लिए करीब 6138 करोड़ रूपये की सब्सिडी का प्रावधान किया गया है।   स्थायी कृषि पंप कनेक्शन के अतिरिक्त अस्थायी कृषि पंप उपभोक्ताओं की विद्युत दरें भी कम की गई हैं। 


छोटे अजजा/अजा किसानों को नि:शुल्क बिजली


मंत्री श्री सचिन यादव ने बताया है कि एक हेक्टेयर तक की भूमि वाले अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति वर्ग के कृषकों को 5 हार्सपॉवर तक के कृषि पंप कनेक्शनों के लिये निःशुल्क बिजली दी जा रही है। इसके एवज में राज्य सरकार बिजली कंपनियों को 3800 करोड़ रूपये वार्षिक सब्सिडी देगी।  


जैविक खेती


मंत्री श्री सचिन यादव ने बताया कि  जैविक खेती के क्षेत्र में मध्यप्रदेश देश में पहले नंबर का राज्य है। एपीडा के अनुसार प्रदेश में 2 लाख 13 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में कपास, गेहूँ, धान, अरहर, चना, सोयाबीन इत्यादि फसलों की जैविक खेती की जा रही है। जैविक खेती के दृष्टिकोण से गौ-शालाएँ बेहद महत्वपूर्ण हैं। ग्राम पंचायत स्तर पर गौ-शालाओं का निर्माण कराया जा रहा है।


मध्यप्रदेश के शैक्षणिक उत्थान में सहयोग करे पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स : राज्यपाल

राज्यपाल श्री लालजी टंडन से आज नई दिल्ली में पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स के प्रतिनिधि-मण्डल ने मुलाकात की। राज्‍यपाल ने प्रतिनिधि-मण्डल को मध्यप्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिये तैयार किए गए रोड-मेप की जानकारी दी। उन्होंने प्रतिनिधि मण्डल से कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी के अंतर्गत मध्यप्रदेश के शैक्षिक उत्थान में सहयोग प्रदान करने का आग्रह किया। प्रतिनिधि-मण्डल ने राज्यपाल को हर संभव सहयोग के लिये आश्वस्त किया।


राज्यपाल से मिले प्रतिनिधि-मण्डल में गिन्नी इंटरनेशनल एवं जयपुरिया स्कूल ग्रुप के श्री शरद जयपुरिया, कैन्ट आर.ओ. के श्री महेश गुप्ता, पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के प्रेसीडेंट श्री डी.के. अग्रवाल और वरिष्ठ वाइस प्रेसीडेंट श्री संजय अग्रवाल शामिल थे।