Thursday 5 September 2019

श्री गणेश जी की आरती


 


।। श्री गणेशाय नमः ।।


सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची |
नुरवी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची |
सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची |
कंठी झळके माळ मुक्ताफळाची || १ ||


जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती |
दर्शनमात्रे मनकामना पुरती ||
रत्नखचित फरा तूज गौरीकुमरा |
चंदनाची उटी कुंकुमकेशरा |
हिरे जडित मुकुट शोभतो बरा |
रुणझुणती नुपुरे चरणी घागरिया || 2 ||


लंबोदर पितांबर फनी वरवंदना |
सरळ सोंड वक्रतुंड त्रिनयना |
दास रामाचा वाट पाहे सदना |
संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवंदना |
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती |
दर्शनमात्रे मनकामना पुरती || ३ ||


।। श्री गणेशाय नमः ।।


गणपति की सेवा


गणपति की सेवा मंगल मेवा,
सेवा से सब विध्न टरें।


तीन लोक तैतिस देवता,
द्वार खड़े सब अर्ज करे॥
(तीन लोक के सकल देवता,
द्वार खड़े नित अर्ज करें॥)


ऋद्धि-सिद्धि दक्षिण वाम विराजे,
अरु आनन्द सों चवर करें।


धूप दीप और लिए आरती,
भक्त खड़े जयकार करें॥


गुड़ के मोदक भोग लगत है,
मुषक वाहन चढ़ा करें।


सौम्यरुप सेवा गणपति की,
विध्न भागजा दूर परें॥


भादों मास और शुक्ल चतुर्थी,
दिन दोपारा पूर परें ।


लियो जन्म गणपति प्रभुजी ने,
दुर्गा मन आनन्द भरें॥


अद्भुत बाजा बजा इन्द्र का,
देव वधू जहँ गान करें।


श्री शंकर के आनन्द उपज्यो,
नाम सुन्या सब विघ्न टरें॥


आन विधाता बैठे आसन,
इन्द्र अप्सरा नृत्य करें।


देख वेद ब्रह्माजी जाको,
विघ्न विनाशक नाम धरें॥

एकदन्त गजवदन विनायक,
त्रिनयन रूप अनूप धरें।


पगथंभा सा उदर पुष्ट है,
देख चन्द्रमा हास्य करें॥


दे श्राप श्री चंद्रदेव को,
कलाहीन तत्काल करें।


चौदह लोक मे फिरे गणपति,
तीन भुवन में राज्य करें॥


गणपति की पूजा पहले करनी,
काम सभी निर्विघ्न सरें।


श्री प्रताप गणपतीजी को,
हाथ जोड स्तुति करें॥


गणपति की सेवा मंगल मेवा,
सेवा से सब विध्न टरें।


तीन लोक तैतिस देवता,
द्वार खड़े सब अर्ज करे॥


गणपति की सेवा मंगल मेवा,
सेवा से सब विध्न टरें।


Shlok:
व्रकतुंड महाकाय,
सूर्यकोटी समप्रभाः।
निर्वघ्नं कुरु मे देव,
सर्वकार्येषु सर्वदा॥