Sunday, 8 September 2019

रामनाथ कोविंद के विमान को गुजरने देने से किया इनकार:पाकिस्तान

रामनाथ कोविंद के विमान को गुजरने देने से किया इनकार



पाकिस्तान ने अपने हवाई क्षेत्र से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के विमान को गुजरने देने से किया इनकार




पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने शनिवार को कहा कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की आइसलैंड की यात्रा के लिए उनके हवाई क्षेत्र से विमान को गुजरने देने संबंधी भारत के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया है



इस्लामाबाद: पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने शनिवार को कहा कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की आइसलैंड की यात्रा के लिए उनके हवाई क्षेत्र से विमान को गुजरने देने संबंधी भारत के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया है। राष्ट्रपति कोविंद की सोमवार से आइसलैंड, स्विट्जरलैंड और स्लोवेनिया की यात्रा शुरू होगी। इस दौरान वह भारत की ''राष्ट्रीय चिंताओं'' खासतौर पर इस साल पुलवामा में हुए हमले सहित आतंकवादी घटनाओं से इन देशों के शीर्ष नेतृत्व को अवगत करा सकते हैं। 


कुरैशी ने सरकारी प्रसारक पीटीवी को बताया कि कश्मीर में तनावपूर्ण स्थिति के मद्देनजर प्रधानमंत्री इमरान खान ने यह निर्णय लिया है। भारत की ओर से जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के बाद से इमरान सरकार भारत पर प्रतिबंध लगाने को लेकर विपक्ष और कुछ मंत्रियों के दबाव में है। अभी तक पाकिस्तान ने हवाई क्षेत्र को पूरी तरह से प्रतिबंधित करने पर फैसला नहीं किया है लेकिन राष्ट्रपति कोविंद के विमान को मंजूरी न देकर उसने अपनी मंशा जाहिर की है। 


कुरैशी ने कहा कि नई दिल्ली का कश्मीर पर रुख गंभीर मामला है और वह इसे संयुक्त राष्ट्र मानवधिकार परिषद में ले जाएंगे। उन्होंने इंगित किया कि पांच अगस्त को कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के बाद प्रशासन की ओर से लगाए प्रतिबंध 34 दिन बीतने के बाद भी जारी है। कश्मीर में पुलवामा आतंकवादी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों के शहीद होने पर भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी शिविरों को नष्ट किया था, जिसके बाद पाकिस्तान ने 26 फरवरी को अपने हवाई क्षेत्र को पूरी तरह से बंद कर दिया था। 


हालांकि 27 मार्च को उसने नई दिल्ली, बैंकॉक और कुआलालंपुर को जाने वाली उड़ानों को छोड़ बाकी के लिए अपना हवाई क्षेत्र खोल दिया था। 15 मई को पाकिस्तान ने भारत जाने वाले विमानों के लिए प्रतिबंध को 30 मई तक बढ़ा दिया था। पाकिस्तान ने 16 जुलाई को अपने हवाई क्षेत्र को सभी नागरिक विमानों के लिए खोला। पांच अगस्त को भारत की ओर से जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करने के फैसले के बाद से भारत-पाकिस्तान में तनाव बढ़ गया है। पाकिस्तान ने विरोध में भारत के साथ द्विपक्षीय कारोबार भी स्थगित कर दिया है।





काले चने के फायदे डायबिटीज और एनीमिया के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद हैं।

काले चने को गुड़ के साथ खाएं, खत्म हो जाएगी एनीमिया की समस्या



काले चने को किसी भी रूप में खाएं, इससे शरीर को फायदा मिलेगा। खासकर डाइबटडीज और एनीमिया के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद हैं।


काले चने black chana यूं तो हर घर की किचन में मिल जाएंगे लेकिन इसके फायदे बहुत ही कम लोग जानते हैं। काले चने ऊर्जा का एक बहुत बड़ा स्त्रोत होने के साथ  साथ कई सारी बीमारियों को भी काबू में रखने में सहयोग करते हैं। 


कम ही लोग जानते हैं कि काले चने में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन protein, फाइबर, कैल्शियम, मैग्नीशियम और दूसरे मिनरल्स होते हैं। ये विटामिंस का भी भंडार है क्योंकि इसमें ए, बी, सी, डी और के अलावा फास्फोरस भी भरपूर मात्रा में होता है।


एनीमिया के रोगियों के लिए काले चने वरदान हैं क्योंकि इसे भिगोकर खाने से शरीर में खून की कमी दूर होती है।


अगर आप कब्ज से जूझ रहे हैं तो रात में काले चने भिगोकर रख दीजिए, सुबह उन्हें चबा चबा कर खाइए और वो पानी भी पी लीजिए। इससे कब्ज में राहत मिलेगी औऱ पाचन की दिक्कत भी दूर हो जाएगी।


मोटे लोगों को हर वक्त की भूख दूर करने के लिए काले चने का सेवन करना चाहिए। इससे बेवक्त की भूख भी शांत होगी और वजन भी कम होगा। 


जो लोग डाइबटीज से जूझ रहे हैं, उनके लिए काले चने बहुत फायदेमंद हैं। काले चने के लगातार सेवन से मधुमेह नियंत्रण में रहता है।  दरअसल काले चने में फाइबर भरपूर मात्रा में होता है जो रक्त में मौजूद शर्करा के अवशोषण को कम करती है और इससे मधुमेह के रोगी को फायदा मिलता है। 


रोज सुबह काले चने खाने से हडिड्यों को भी मजबूती मिलती है क्योंकि इसमें मौजूद विटामिक के शरीर में कैल्शियम को कमी नहीं होने देता। 


मध्यप्रदेश कांग्रेस में घमासान के बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया ने CM कमलनाथ को दिया 'संदेश'

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने CM कमलनाथ को दिया यह 'संदेश'


ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने संवाददाताओं से कहा, 'सभी पक्षों को सुनने के बाद पार्टी के भीतर मतभेदों को हल करना मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी है.'



खास बातें



  • कमलनाथ दोनों पक्षों की बात सुनें: सिंधिया

  • 'मतभेदों को सुलझाना मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी'

  • 'किसी का हस्तक्षेप सरकार में नहीं होना चाहिए'




नई दिल्ली: मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी में मचे घमासान के बीच पार्टी के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का नाम लिए बगैर कहा कि जो आरोप लगाए गए हैं, वह गंभीर है, और मुख्यमंत्री को दोनों पक्षों की बात सुननी चाहिए. ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने संवाददाताओं से कहा, 'सभी पक्षों को सुनने के बाद पार्टी के भीतर मतभेदों को हल करना मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी है.' संवाददाताओं ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) और वन मंत्री उमंग सिंघार के बीच पैदा हुए विवाद को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा, 'मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamal Nath) को बैठकर इस विषय पर दोनों पक्षों की बात सुननी चाहिए, और समाधान निकालना चाहिए. बहुत मुश्किल और मेहनत से हम लोगों ने 15 साल कड़ी मेहनत कर कांग्रेस का शासन स्थापित किया है. अभी छह माह भी नहीं हुए और मतभेद उठ रहे हैं तो मुख्यमंत्री का दायित्व होता है कि दोनों पक्षों के साथ बैठकर सलाह-मशविरा करें और समाधान निकालें.'

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ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) से जब संवाददाताओं ने सिंघार द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री सिंह पर लगाए गए आरोपों के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, 'आरोप गंभीर हैं और इस पर जरूर दोनों पक्षों को बैठाकर बात होनी चाहिए. सरकार को अपने दम और आधार पर चलना चाहिए, किसी का हस्तक्षेप सरकार में नहीं होना चाहिए. इसमें कोई दो राय नहीं है.' उन्होंने आगे कहा, 'सरकार को स्वतंत्र होकर कार्य करना चाहिए. जो मुद्दे आए हैं, उस पर मुख्यमंत्री को मंत्री उमंग सिंघार की भी बात सुननी चाहिए और जो सत्य है उसपर भी कार्रवाई होनी चाहिए


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बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मंत्रियों को पत्र लिखकर मुलाकात का समय मांगा था, जो वायरल हो गया था. इससे वन मंत्री सिंघार नाराज थे. इसके बाद उन्होंने दिग्विजय पर शराब कारोबारियों, अवैध खनन करने वालों को संरक्षण देने का आरोप लगाया था. इस पर राज्य सरकार के जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने सिंघार को आड़े हाथों लिया था. मामले के तूल पकड़ने पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने हस्तक्षेप किया था. मुख्यमंत्री से सिंघार की मंगलवार रात मुलाकात हुई.


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सूत्रों के अनुसार, मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री ने सिंघार को हिदायत दी. सिंघार बुधवार दोपहर मीडिया के सामने आए और उन्होंने कहा कि उनकी 'मुख्यमंत्री कमलनाथ व प्रदेश प्रभारी बावरिया से बात हो गई है. उनके सामने अपनी बात रख दी है, अब उन्हें कुछ नहीं कहना है.'


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इस बीच, भोपाल में वनमंत्री उमंग सिंघार के घर के बाहर उनका ही पुतला जलाया गया, पुतला जलाने वाले कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने कहा कि जबतक उमंग सिंघार दिग्विजय सिंह से माफी नहीं मांगेगे वो उनका विरोध करते रहेंगे. इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का बयान आया कहा सरकार में बाहरी हस्तक्षेप नहीं होना चाहिये. सरकार को स्वतंत्र होकर काम करना चाहिये, जो मुद्दे आए हैं मुख्यमंत्री को उमंग जी की बात सुनना चाहिये जो सत्य है उसपर कार्य होना चाहिये. दिग्विजय सिंह जी से भी बात की जानी चाहिये.


वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक ऐंदल सिंह कंषाना ने उमंग सिंघार को बर्खास्त करने की मांग कर दी. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को ऐसे बयान देने वाले मंत्रियों पर तत्काल कार्रवाई करनी चाहिये. उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह ने सरकार बनाई, सरकार बनाने में सबसे बड़ा योगदान दिग्विजय सिंह का ही रहा उनका जीवन बेदाग है. उन्होंने मांग की मुख्यमंत्री उमंग सिंघार, गोविंद सिंह, गोविंद सिंह राजपूत, इमरती देवी प्रद्युम्न सिंह तोमर को बर्खास्त करें. इनमें से लगभग सारे नाम सिंधिया सर्मथकों के हैं.


जवाब दूसरे गुट से भी आया सिंधिया समर्थक परिवहन मंत्री गोविंद राजपूत ने भी दिग्विजय सिंह पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार में दिग्विजय सिंह को हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है. वह मंत्रियों के अधिकारों का हनन कर रहे हैं और स्वतंत्रता से काम नहीं करने दे रहे हैं. वहीं श्रम मंत्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ने कहा जनता ने बीजेपी के नारे माफ करो महाराज को नकारते हुए प्रदेश में कांग्रेस को बहुमत दिया और सरकार बनाई. दिग्विजय सिंह जी उस समय कहां थे जब कांग्रेसी सड़कों पर संघर्ष कर रहे थे.


वहीं जबलपुर से कैबिनेट मंत्री लखन घनघोरिया ने दिग्विजय का पक्ष लेते हुए कहा कि उन्होंने मंत्रियों को पत्र लिखकर कोई गलत काम नहीं किया वह बड़े नेता हैं किसी भी मंत्री से जवाब सवाल कर सकते हैं. वहीं अलीराजपुर जिला कांग्रेस अध्यक्ष महेश पटेल ने उमंग सिंघार को बीजेपी का दलाल बताते दिया. धार से विधायक हीरालाल अलावा ने भी सरकार के प्रति असंतोष प्रकट किया है. अलावा ने कहा कि सरकार आदिवासियों के हितों की रक्षा नहीं कर रही है, तो निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा ने भी स्पष्ट तौर पर कहा कि इस सरकार में हमारा भविष्य सुरक्षित नहीं है.


उधर बीजेपी कांग्रेस के खींचतान पर ठहाके लगा रही है. बीजेपी प्रवक्ता राहुल कोठारी ने कहा कांग्रेस कार्यकर्ताओं का एक ही काम है अपने संगठन की फजीहत करना जो वो कर रहे हैं, सिंधिया हो, दिग्विजय हों, उमंग सिंघार हो और खुद कमलनाथ के लोग कोई पीछे नहीं चल रहा है, एक राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में इससे खराब दिन हमने किसी पार्टी के नहीं देखे.





नासा ने की इसरो की तारीफ, कहा- आपकी यात्रा ने हमें प्रेरित किया

नासा ने ट्वीट कर कहा कि अंतरिक्ष मुश्किलों से भरा है। हम इसरो के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के प्रयास की सराहना करते हैं। आपकी यात्रा ने हमें प्रेरित किया



नई दिल्ली। नासा ने चंद्रयान मिशन-2 के लिए इसरो की तारीफ की है। नासा ने ट्टवीट कर कहा है, "अंतरिक्ष मुश्किलों से भरा है। हम इसरो के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के प्रयास की सराहना करते हैं। आपकी यात्रा ने हमें प्रेरित किया है और हम भविष्य में साथ मिलकर सौर मंडल के अवसरों का पता लगाने के लिए तत्पर हैं।"


यूएई की स्पेस एजेंसी ने इसरो को अंतरिक्ष क्षेत्र में रणनीतिक खिलाड़ी बताते हुए ट्वीट किया, "हम इसरो को अपने पूर्ण समर्थन का आश्वासन देते हैं। भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में एक रणनीतिक खिलाड़ी साबित हुआ और इसके विकास और उपलब्धियों में भागीदार है।"

 

मिशन के लगभग 95 फीसद लक्ष्य हासिल हुए: इसरो

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शनिवार को कहा कि अब तक चंद्रयान-2 मिशन के लक्ष्यों को 90 से 95 फीसद तक हासिल किया जा चुका है और लैंडर से संपर्क टूटने के बावजूद इससे चंद्र विज्ञान में योगदान जारी रहेगा। अंतरिक्ष एजेंसी ने यह भी कहा कि सटीक प्रक्षेपण और मिशन प्रबंधन से ऑर्बिटर का सात साल लंबा जीवन सुनिश्चित है, जबकि पूर्व में इसके जीवनकाल को एक वर्ष रखने की योजना थी।


चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने के भारत के साहसिक कदम को शनिवार तड़के उस वक्त झटका लगा जब चंद्रयान-2 के लैंडर 'विक्रम' से चांद की सतह से महज 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर संपर्क टूट गया। इसरो ने इस बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए बताया, “विक्रम लैंडर ने अपनी 35 किलोमीटर की कक्षा से सतह से ठीक दो किलोमीटर नीचे उतरने में प्रक्षेपण का तय योजना के मुताबिक पालन किया। इस बिंदु तक उसकी सभी प्रणालियां और तंत्र ठीक काम कर रहे थे और इससे लैंडर में इस्तेमाल वेरियेबल थ्रस्ट प्रोपल्शन तकनीक समेत कई नई तकनीकें साबित हुईं।”


इसमें कहा गया कि सफलता का पैमाना मिशन के हर चरण के लिये परिभाषित था और अब तक मिशन के 90 से 95 फीसदी लक्ष्य हासिल कर लिये गए हैं और ये चंद्र विज्ञान के क्षेत्र में योगदान जारी रखेंगे भले ही लैंडर से हमारा संपर्क टूट गया है।