Thursday 12 September 2019

मथुरा में बोले पीएम मोदी, ‘गाय’ का नाम सुनकर कुछ लोगों के खड़े हो जाते हैं बाल, 'ओम' सुनकर लगता है करंट

विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री के इस बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि मोदी को इस बात के लिए चिंतित होना चाहिए कि गाय के नाम पर लोगों की हत्या हो रही है.


खास बातें



  • मथुरा में रैली के दौरान पीएम मोदी ने कही ये बात

  • विपक्ष ने बयान के लिए साधा निशाना

  • राष्ट्रीय पशु रोग उन्मूलन कार्यक्रम की पीएम ने की शुरुआत




मथुरा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने 'ओम' और 'गाय' शब्दों का उल्लेख करने का विरोध करने वालों पर बुधवार को तीखा प्रहार करते हुए कहा कि ऐसे लोग ही देश को बर्बाद करने पर तुले हुए हैं.  इस बीच, कई विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री के इस बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि मोदी को इस बात के लिए चिंतित होना चाहिए कि गाय के नाम पर लोगों की हत्या हो रही है और संविधान का घोर उल्लंघन हो रहा है. कान्‍हा की नगरी मथुरा में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि 'ओम' शब्‍द सुनते ही कुछ लोगों के कान खड़े हो जाते हैं. कुछ लोगों के कान में 'गाय' शब्‍द पड़ता है तो उनके ''बाल खड़े हो जाते हैं, उनको करंट लग जाता है. उनको लगता है कि देश 16वीं-17वीं सदी में चला गया है.''उन्होंने कहा कि ऐसे लोग ही देश को बर्बाद करने पर तुले हुए हैं.

प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने मथुरा में राष्ट्रीय पशु रोग उन्मूलन कार्यक्रम की शुरुआत की. उन्होंने कहा, ''...भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पशुधन बहुत मूल्यवान है . कोई कल्पना करे कि पशुधन के बिना अर्थव्यवस्था चल सकती है क्या ? गांव चल सकता है क्या ? गांव का परिवार चल सकता है क्या ? लेकिन पता नहीं 'ओम' शब्द सुनते ही करंट लग जाता है कुछ लोगों को.''


भारत में 'ट्विटर किंग' बने PM मोदी, ट्रंप-ओबामा के बाद दुनिया के तीसरे सबसे ज़्यादा फॉलोअर्स वाले राजनेता

अफ्रीका के रवांडा का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वह वहां गए थे और वहां गांवों में लोगों को गाय भेंट में दी जाती है. गांव में गाय, पशुपालन और दुग्ध उत्पादन अर्थव्यवस्था का आधार बने हैं. भेंट की गयी गाय की पहली बछिया को सरकार लेती है और उन लोगों को सौंपती हैं जिनके पास गाय नहीं है. इस तरह पूरी श्रृंखला चलती रहती है और गाय लोगों की आय का एक हिस्सा बनती है.''


मोदी की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाकपा के महासचिव डी. राजा ने कहा कि प्रधानमंत्री 'ओम' और 'गाय' के मुद्दे क्यों उठा रहे हैं जबकि उन्हें देश की अर्थव्यवस्था की बात करनी चाहिए. उन्होंने 'पीटीआई- भाषा' से कहा, ''वह ऐसे समय में यह बात कह रहे हैं जब गाय और भगवान के नाम पर देशभर में पीट-पीट कर हत्या की घटनाएं हो रही हैं. उन्हें देश के प्रधानमंत्री की तरह व्यवहार करना चाहिए , वास्तविक मुद्दों पर बात करनी चाहिए और बेरोजगारी की समस्या का समाधान करना चाहिए, न कि विपक्ष पर हमला करना चाहिए.''


PM मोदी के 'गाय' और 'ओम' वाले भाषण पर ओवैसी का आया Reaction




प्रधानमंत्री की टिप्पणी के बारे में ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहाद उल मुसलमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने टीवी चैनलों से कहा कि भारत में लोग न केवल 'ओम' और 'गाय' सुनते हैं, बल्कि मस्जिदों की अजान, गुरुद्वारों में होने वाले पाठ और गिरजाघरों की घंटी की आवाज भी सुनते हैं. उन्होंने कहा, ''लोग जब गाय के नाम पर मारे जा रहे हैं तो आपको चिंतित होना चाहिए. प्रधानमंत्री को चिंतित होना चाहिए कि संविधान का घोर उल्लंघन हो रहा है. हम अपने प्रधानमंत्री से उम्मीद करते हैं कि जब तबरेज, पहलू खान या अखलाक मारे जा रहे हैं तो उन्हें यह सोचकर चिंतित होना चाहिए कि 'मेरे देश में क्या चल रहा है.''



PMO की चिट्ठी सोशल मीडिया पर जारी करने के बाद अधिकारी को किया गया निलंबित


राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सांसद माजिद मेमन ने कहा कि मोदी एक धर्मनिरपेक्ष देश के प्रधानमंत्री हैं और उन्हें अक्सर धार्मिक मामलों का जिक्र नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा, ''वह धर्मगुरु नहीं हैं... प्रधानमंत्री को स्पष्ट कर देना चाहिए कि 'मैं सरकार के मुखिया के तौर पर किसी को भी धर्म के नाम पर, 'ओम' या 'गाय' के नाम पर किसी को बर्दाश्त नहीं करूंगा, उन्हें अपने हाथ में कानून नहीं लेने दूंगा.''





सोनिया गांधी की अध्यक्षता में चल रही कांग्रेस की अहम बैठक में आखिर क्यों नहीं गए राहुल गांधी

लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद अध्यक्ष पद से राहुल गांधी ने इस्तीफा दे दिया था. उनके इस फैसले के बाद पार्टी के कई नेताओं ने उन्हें मनाने की कोशिश की लेकिन वह इस पर अडिग रहे. इस्तीफे के साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि गांधी परिवार का कोई सदस्य अध्यक्ष नहीं बनेगा.  इसके बाद कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई जिसमें एक बार फिर उन्हें फैसले पर विचार करने के लिए कहा गया लेकिन उन्होंने  साफ मना कर दिया. 



खास बातें



  • कांग्रेस अहम बैठक जारी

  • राहुल गांधी के पास बैठक में जाने की पात्रता नहीं

  • सिर्फ सांसद और CWC के मेंबर हैं




नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी  की अगुवाई में पार्टी महासचिवों, प्रदेश अध्यक्षों, पार्टी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों एवं कई अन्य वरिष्ठ नेताओं की बैठक जारी है. लेकिन इस महत्वपूर्ण बैठक में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी मौजूद नहीं है. बताया जा रहा है कि राहुल गांधी इस बैठक में आने की पात्रता नहीं रखते हैं क्योंकि वह सिर्फ सांसद और कांग्रेस कार्यसमिति की सदस्य मात्र हैं. आपको बता दें कि बैठक में मौजूदा अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हो रही है जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, पार्टी के वरिष्ठ नेता एके एंटनी, अहमद पटेल, गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खड़गे, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तथा पार्टी के कई महासचिव-प्रदेश प्रभारी, प्रदेश अध्यक्ष और विधायक दल के नेता शामिल हैं. इसमें मनमोहन सिंह और एके एंटनी विशेष आमंत्रित हैं. दूसरी ओर राहुल गांधी का कुछ देर पहले ही एक ट्वीट आया है जिसमें उन्होंने  एक अंग्रेजी दैनिक में छपे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साक्षात्कार का हवाला देते हुए गांधी ने यह भी कहा कि पहले सरकार को स्वीकार करना चाहिए कि अर्थव्यवस्था को लेकर समस्या है. उन्होंने ट्वीट कर कहा, ''इस समय दुष्प्रचार, मनगढ़ंत खबरों और युवाओं के बारे में मूर्खतापूर्ण बातें करने की जरूरत नहीं है, बल्कि भारत को एक ठोस नीति की जरूरत है ताकि अर्थव्यवस्था की स्थिति को ठीक किया जा सके.'' गांधी ने कहा, ''पहले स्वीकार करिये कि हमारे सामने समस्या है. यह स्वीकार करना ही अच्छी शुरुआत होगी.'' उन्होंने मनमोहन सिंह के जिस साक्षात्कार का हवाला दिया उसमें पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा है कि नोटबंदी और गलत ढंग से जीएसटी लागू करने के कारण अर्थव्यवस्था की स्थिति खराब हुई है. 

 


संकट से जूझ रही कांग्रेस के लिए क्या सोनिया गांधी आज कोई निकाल पाएंगी रास्ता?


गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद अध्यक्ष पद से राहुल गांधी ने इस्तीफा दे दिया था. उनके इस फैसले के बाद पार्टी के कई नेताओं ने उन्हें मनाने की कोशिश की लेकिन वह इस पर अडिग रहे. इस्तीफे के साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि गांधी परिवार का कोई सदस्य अध्यक्ष नहीं बनेगा.  इसके बाद कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई जिसमें एक बार फिर उन्हें फैसले पर विचार करने के लिए कहा गया लेकिन उन्होंने  साफ मना कर दिया. 

एक दिन पहले कांग्रेस छोड़ने वाले महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री हर्षवर्धन पाटिल BJP में शामिल



बाद में कोई और रास्ता न देख कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में सर्वसम्मति से सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष चुना गया. लेकिन अभी पार्टी का संकट का दूर नहीं हुआ है. एक ओर जहां राष्ट्रीय स्तर पर मतभेद उभर रहे हैं तो दूसरी ओर राज्यों के संगठन में भी सिर फुटौवल वाले हालात हैं.





ट्रैफिक के नए कानून पर बोले नितिन गडकरी- क्या राज्यों के लिए 'जान से ज्यादा जुर्माना' महत्वपूर्ण है?





 


खास बातें



  • नए ट्रैफिक नियम पर नितिन गडकरी से खास बातचीत

  • गडकरी बोले- राज्य जुर्माना घटाना चाहते हैं तो घटा दें

  • कहा- जान बचाने के लिए लाया गया है यह नियम




नई दिल्ली: मोटर व्हीकल संशोधन अधिनियम (Motor vehicle Act) पास होने के बाद यातायात नियमों का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है. ट्रैफिक नियमों (Traffic Rules) को तोड़ने वालों पर नए अधिनियम के मुताबिक तगड़ा जुर्माना भी लगाया जा रहा है. इसे लेकर NDTV ने परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से खास बातचीत की. NDTV से बात करते हुए नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने कहा कि जो राज्य नए मोटर व्हीकल ऐक्ट (Motor Vehicle Act) के जुर्माने कम करना चाहते हैं वो घटा लें. हमारा मकसद हादसे कम करने का है. हमारा मकसद हादसे कम करने का है.

 


केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी बोले, राज्य चाहें तो जुर्माना घटा दें, लेकिन क्या ये सच्चाई नहीं है...


उन्होंने कहा कि जो राज्य इस नए कानून को लागू करने से इनकार कर रहे हैं उनके लिए 'जिंदगी से ज्यादा क्या पैसा महत्वपूर्ण है.' नितिन गडकरी ने कहा, 'मैंने जीवन की रक्षा करने का संकल्प लिया था और यह (नया कानून), जान बचाने के लिए किया गया है. यह मेरा पहला उद्देश्य है, लेकिन मुझे राज्य सरकारों के सहयोग की जरूरत है. यह पार्टियों और राज्य सरकारों के ऊपर होना चाहिए.

नितिन गडकरी ने कहा- कड़े नियमों का लक्ष्य है सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाना


नितिन गडकरी ने राज्यों से यातायात नियमों के उल्लंघन पर जुर्माने में ढील देने की भी अपील की है. नितिन गडकरी ने कहा, 'यह कोई राजस्व इकट्ठा करने की योजना नहीं है.. क्या आपको डेढ़ लाख लोगों की मौत की चिंता नहीं है?' उन्होंने कहा, 'अगर राज्य सरकारें जुर्माने की रकम को घटाना चाहती हैं तो ठीक है, लेकिन क्या यह सच्चाई नहीं है कि लोग न तो कानून को मानते हैं और न ही इससे डरते हैं.'


...जब ट्रैफिक नियम तोड़ने पर परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को भी भरना पड़ा जुर्माना, जानें पूरा मामला




आपको बता दें कि गुजरात सरकार ने 'मानवता के आधार पर' यातायात नियमों के उल्लंघन पर लगाए जाने वाले जुर्माने में 90 फीसद तक की कटौती करने का निर्णय लिया है. हालांकि राज्य सरकार के इस फैसले ने बीजेपी के लिए असहज स्थिति पैदा कर दी है, क्योंकि बीजेपी जुर्माने में बढ़ोतरी की पक्षधर रही है. हालांकि अब खुद बीजेपी शासित राज्य के ही एक मुख्यमंत्री ने जुर्माने में कटौती का फैसला किया है. सूत्रों का कहना है कि इस मामले में पार्टी नेतृत्व गुजरात के सीएम विजय रूपाणी से जवाब तलब कर सकती है.



जुर्माने की रकम कई गुना बढ़ी
बता दें कि मोटर व्हीकल एक्ट (Motor vehicle act) में हुए बदलाव सुर्खियां बटोर रहे हैं. यह पूरे देश में एक सितंबर से लागू हो गया है. हालांकि कुछ राज्यों ने इन्हें लागू नहीं करने का फैसला किया है. ऐसे कई अपराध हैं जिनके लिए जुर्माने की रकम बढ़ा दी गई है. बिना लाइसेंस के गाड़ी चलाने पर पहले पांच सौ रुपये तक जुर्माना था. यह अब 5000 रुपये होगा. ओवरस्पीडिंग के लिए पहले चार सौ रुपये तक जुर्माना था, अब यह हल्के वाहनों के लिए एक से दो हजार रुपये होगा जबकि मध्यम और भारी वाहनों के लिए दो हजार से चार हजार रुपये. खतरनाक ड्राइविंग में पहली बार पकड़े जाने पर छह महीने तक की सजा और एक हजार तक का जुर्माना होता था. इसे अब बढ़ाकर छह महीने से एक साल तक की सजा और एक हजार से पांच हजार रुपये तक का जुर्माना कर दिया गया है.







Mars 2020: NASA दे रहा है मंगल पर जाने का बोर्डिंग पास, आपने लिया क्‍या?

NASA's Mars 2020: नासा लोगों के नाम मंगल पर भेजेगा. नासा ने इच्छुक लोगों से अपने नाम भेजने को कहा है. अंतरिक्ष में रुचि रखने वाले लाखों लोगों ने नासा को अपने नाम भेजे हैं.




खास बातें



  • नासा ने मार्स '2020 रोवर' के लिए इच्छुक लोगों से नाम मंगाए हैं

  • रजिस्ट करने वालों को बोर्डिंग पास दिए जा रहे हैं.

  • रोवर को जुलाई 2020 तक प्रक्षेपित किया जाएगा.



नई दिल्ली: NASA's Mars 2020: अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) अगले साल मंगल ग्रह पर अपना रोवर भेजेगी. इस मिशन पर सिर्फ रोबोट ही भेजा जाएगा, लेकिन नासा लोगों के नाम एक चिप से मंगल पर भेजेगी. इसके लिए नासा ने इच्छुक लोगों से अपने नाम भेजने को कहा है. अंतरिक्ष में रुचि रखने वाले लाखों लोगों ने नासा को अपने नाम भेजे हैं. अब तक NASA को 9 मिलियन यानी 90 लाख से ज्यादा नाम मिल चुके हैं. जिन लोगों ने अपने नाम भेजे हैं उन्हें आनलाइन बोर्डिंग पास दिए जा रहे हैं. नामों को एक सिलिकॉन वेफर माइक्रोचिप पर एक इलेक्ट्रॉनिक बीम की मदद से उकेरा जाएगा. इस चिप को रोवर लेकर जाएगा और यह चिप हमेशा के लिए मंगल (Mars) पर रहेगी. नासा का मंगल मिशन जुलाई 2020 में लॉन्च किया जाएगा और ये फरवरी 2021 में लैंड करेगा. जो लोग मंगल पर अपना नाम भेजना चाहते हैं उनके पास बुकिंग करने के लिए 20 दिन का समय रह गया है. 


रोवर की तस्वीर



नासा ने ट्वीट कर कहा, ''2021 में जब हमारा #Mars2020 रोवर लाल ग्रह पर उतरेगा, उसके पास एक माइक्रोचिप होगी जिसमें धर्ती के लाखों लोगों के नाम होंगे. क्या आपका नाम उस पर है? आपके पास 20 दिन बचे है अपना बोर्डिंग पास पाने और रोवर से अपना नाम भेजने के लिए. अभी बुक करें.


इस पेज पर भरनी होगी डिटेल


- सबसे पहले आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें.
- अब एक पेज खुलेगा, यहां अपना नाम, देश, पोस्टल कोड और ईमेल सबमिट करें.
- अब आपका बोर्डिंग पास जनरेट हो जाएगा.
- आप इसे डाउनलोड कर सकते हैं.
- आप इसका प्रिंट ले सकते हैं.


Mars पर भेजा जाएगा ये रोवर




ये है नासा के मंगल मिशन का उद्देश्य


नासा 2020 में मंगल पर अपना रोवर भेजेगा. रोवर का मिशन कई सवालों के जवाब खोजना है. जैसे- मंगल ग्रह पर जीवन की कितनी संभावनाएं हैं? या क्या मंगल पर कभी जीवन था? नासा का रोवर मंगल पर खुदाई करके वहां की मिट्टी के सैंपल भी इकट्ठा करेगा. रोवर ये सैंपर वहीं छोड़ देगा और भविष्य में जाने वाला एयरक्राफ्ट इस सैंपल को धरती पर लेकर आएगा.






केंद्रीय मंत्री के बयान 'PoK को भारत में शामिल करना अगला एजेंडा' पर बोले जनरल बिपिन रावत- सेना हमेशा तैयार है

जितेंद्र सिंह ने कहा था हमारा अगला एजेंडा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा बनाना है.





नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह (Jitendra Singh) ने मंगलवार को कहा था कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के 100 दिनों की सबसे बड़ी उपलब्धि में जम्मू कश्मीर (Kashmir) का विशेष दर्जा समाप्त करना शामिल है और हमारा अगला एजेंडा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा बनाना है. इस पर जब सेना प्रमुख बिपिन रावत से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि सेना हमेशा तैयार रहती है. न्यूज एजेंसी एएनआई की ओर से जारी किए गए वीडियो में देखा जा सकता है कि एक पत्रकार उनसे इस बारे में सवाल पूछता है तो उन्होंने कहा, 'ऐसे मामलों में सरकार फैसला लेती है. देश के बाकी संस्थान सरकार के आदेशों के मुताबिक काम करते हैं. सेना हमेशा तैयार रहती है.'

जितेंद्र सिंह ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (Kashmir) के मुद्दे पर कहा था, ''यह केवल मेरी या मेरी पार्टी की प्रतिबद्धता नहीं है बल्कि यह 1994 में पीवी नरसिंह राव के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा सर्वसम्मति से पारित संकल्प है. यह एक स्वीकार्य रुख है."


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साथ ही अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान समाप्त करने पर पाकिस्तान की ओर से शुरू किये गए दुष्प्रचार अभियान पर जितेंद्र सिंह (Jitendra Singh) ने कहा था कि विश्व का रुख भारत के अनुकूल है. उन्होंने कहा, ''कुछ देश जो भारत के रुख से सहमत नहीं थे, अब वे हमारे रुख से सहमत हैं.'' उन्होंने कहा कि कश्मीर में आम आदमी मिलने वाले लाभों को लेकर खुश है.

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केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कश्मीर मंगलवार को कहा था कि कश्मीर न तो बंद है और ना ही कर्फ्यू के साए में है, बल्कि वहां सिर्फ कुछ पाबंदियां लगी हुई हैं. उन्होंने देश विरोधी ताकतों को चेतावनी दी कि उन्हें जल्द उस मानसिकता को बदलना होगा कि वे कुछ भी करने के बाद बच निकलेंगे. जितेंद्र सिंह ने पत्रकारों से कहा, ''हमें ऐसे बयानों (कश्मीर कर्फ्यू के साए में है और पूरी तरह से बंद है) की निंदा करने की जरूरत है. कश्मीर बंद नहीं है. वहां कर्फ्यू नहीं है. अगर कर्फ्यू होता तो लोगों को 'कर्फ्यू पास' के साथ बाहर निकलना होता.''